Bihar News: बिहार के कई दागी अफसरों और सरकारी कर्मचारियों की मुसीबत इन दिनों बढ़ी हुई है. इनमें दो आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं जिनपर पूर्व से ही कार्रवाई जारी है. उन्हें अभी फिलहाल कोई राहत नहीं देने का फैसला लिया गया है. जबकि एक बीडीओ को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है. जबकि एक पंचायत सचिव को घूस लेते पकड़ा गया तो अब रिटायरमेंट के बाद उनका पूरा पेंशन और उपादान की राशि को जब्त करने का आदेश दिया गया है. वहीं अवैध तरीके से कमाई करने वाले इंजीनियर को भी अब सस्पेंड कर दिया गया है. जानिए किस जिले में किस सरकारी कर्मी के ऊपर गाज गिरी है.
गृह विभाग ने बिहार कैडर के दो आइपीएस अधिकारी आदित्य कुमार और दयाशंकर का निलंबन फिर से अप्रैल 2024 तक बढ़ा दिया है. इनका वर्तमान निलंबन 12 अक्टूबर, 2023 को समाप्त हो रहा था, जिसे अगले 180 दिनों के लिए बढ़ाया गया है. मालूम हो कि 2011 बैच के आइपीएस आदित्य कुमार डीजीपी को पैरवी के लिए फर्जी काॅल कराने के मामले में फंसे हैं. जबकि पूर्णिया के तत्कालीन एसपी 2014 बैच के आइपीएस दयाशंकर आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपित हैं. पूर्णिया में पिछले साल एसपी आवास में भी छापेमारी हुई थी और रिश्वतखोरी के चेन का खुलासा हुआ था. विभाग ने बताया कि पिछले दिनों निलंबन समीक्षा समिति की बैठक में इस पर चर्चा हुई. चूंकि दोनों लोगों से जुड़े मामलों में अनुसंधान अब भी जारी है. आरोपित पदाधिकारियों के द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के साथ अनुसंधान की प्रक्रिया को प्रभावित करने की आशंका है. ऐसे में निलंबन अवधि को विस्तारित करने की अनुशंसा की गयी है. निलंबन के दौरान पुलिस अधिकारियों को सिर्फ जीवन निर्वाह भत्ता दिया जायेगा.
Also Read: बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में बढ़ेगी सख्ती, आंखों की जांच होगी अनिवार्य, देना होगा मेडिकल सर्टिफिकेट
इधर, पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज के तत्कालीन बीडीओ राघवेंद्र कुमार त्रिपाठी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है. वाहन चेकिंग में संदिग्ध रूप से रखा पैसा व सरकारी राशि अपने बैंक खाते में रखने समेत अन्य आरोपों में उनकेखिलाफ कार्रवाई की गयी है. राघवेंद्र वर्तमान में जमुई के खैरा प्रखंड के बीडीओ हैं.गौरतलब है कि बिहार सरकार की कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया था कि खैरा प्रखंड में पदस्थापित बीडीओ राघवेंद्र कुमार त्रिपाठी को अनिवार्य सेवानिवृति दी जाए. इसपर नीतीश कैबिनेट में मुहर लगायी गयी थी. ग्रामीण विकास विभाग ने दो हफ्ते पूर्व इसकी अनुशंसा की थी. दरअसल, जब राघवेंद्र कुमार त्रिपाठी पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज में पदस्थापित थे तो उस दौरान उनके ऊपर गंभीर आरोप लगे थे. 5 फरवरी 2020 को इओयू पटना की टीम ने उन्हें नराकटियागंज के नौतन तिलंगही चौक पर 7 लाख से अधिक रकम के साथ पकड़ा था. जिसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी थी. लंबे समय तक जांच चलने के बाद अब कार्रवाई की गयी है.
भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड में कार्यरत पंचायत सचिव अनुपलाल मंडल 24 दिसंबर 2018 को निगरानी टीम ने 45 हजार रुपये रिश्वत के साथ गिरफ्तार कर अपने साथ पटना ले गयी थी. इस आरोप में डीएम के निर्देश पर चली विभागीय कार्यवाही पूरी हो चुकी है. डीएम ने निर्देश दिया है कि अनुपलाल मंडल की संपूर्ण पेंशन व उपादान की राशि जब्त करें. निगरानी द्वारा गिरफ्तार करने के मामले में जिला पंचायती राज कार्यालय द्वारा अनुपलाल मंडल को निलंबित किया गया था. जमानत मिलने के बाद अनुपलाल मंडल का मुख्यालय नारायणपुर प्रखंड कार्यालय निर्धारित किया गया. निगरानी की रिपोर्ट में परिवादी व अनुपलाल मंडल के बीच हुई वार्ता में पैसे के लेन-देन की बात रिकाॅर्ड पर उपलब्ध है. विशेष न्यायाधीश, निगरानी-दो में चार्टशीट भी दाखिल किया जा चुका है. इन तमाम तथ्यों के आधार पर अनुपलाल मंडल को दंडित किया गया है.
पश्चिम चंपारण जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं अनुमंडलीय अस्पतालों में पदस्थापित चिकित्सकों पर कार्रवाई का निर्देश राज्य सरकार ने दिया है. विभाग की ओर से भेजे गये प्रपत्र क को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार ने इन चिकित्सकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई संचालित करने का निर्देश दिया है. विभागीय कार्रवाई के दौरान इनका संचालन पदाधिकारी अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवांए डा. अल्का सिन्हा को बनाया गया है. इन पर बिना किसी पूर्व सूचना के लंबे समय तक अनुपस्थित रहने समेत अन्य कई आरोप हैं. इन चिकित्सकों को राज्य सरकार ने संकल्प जारी करते हुए निदेश दिया है कि संचालन पदाधिकारी के समक्ष जब भी आवश्यक हो, स्वयं उपस्थित होना अनिवार्य है.
भागलपुर में पुल निर्माण निगम के वरीय परियोजना अभियंता श्रीकांत शर्मा को पथ निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव ने निलंबित कर दिया है. निलंबन के दौरान उन्हें अधीक्षण अभियंता (पूर्व बिहार) के अंचल कार्यालय से संबद्ध किया गया है. जुलाई में विजिलेंस की टीम ने श्रीकांत शर्मा के घर पर छापेमारी कर 1.47 करोड़ की अघोषित धन-संपत्ति बरामद की थी. निगरानी टीम ने श्रीकांत शर्मा के भागलपुर स्थित हनुमान नगर घर से 97.80 लाख रुपये नकद, 34.53 लाख रुपये की कीमत के 24 कैरेट सोने के आठ बिस्किट, 31.63 लाख कीमत के सोने की ज्वेलरी, जमीन से जुड़े 25 दस्तावेज, एलआइसी बांड, 1.33 लाख की चांदी और 28 बैंकों की पास बुक बरामद की थी. श्रीकांत शर्मा के पास पथ निर्माण विभाग का भी प्रभार था. श्रीकांत शर्मा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का निगरानी थाने में मामला दर्ज है.