बिहार के बच्चों में बढ़े टाइप-वन डायबिटीज के मामले, जानें डॉक्टर क्या बता रहे हैं वजह
बिहार में भी धीरे-धीरे ये मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसको लेकर आये एक ताजा रिपोर्ट में पाया गया है कि अगर समय रहते हुए इस पर रोक नहीं लगी, तो बच्चों पर इसके गंभीर परिमाण हो सकते हैं.
पटना. बिहार के बच्चों में टाइप-वन डायबिटीज के मामले बढ़ने लगे हैं. ऐसा कोरोना महामारी के बाद हुआ है. कोरानो महामारी के बाद देशभर में बच्चों के अंदर टाइप एक डायबिटीज के मामले बढ़ने के मामले सामने आये हैं. बिहार में भी धीरे-धीरे ये मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसको लेकर आये एक ताजा रिपोर्ट में पाया गया है कि अगर समय रहते हुए इस पर रोक नहीं लगी, तो बच्चों पर इसके गंभीर परिमाण हो सकते हैं.
तेजी से बढ़ रहे हैं मामले
शोधपत्र जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 19 वर्ष से कम उम्र के 1,02,984 युवाओं सहित 42 रिपोर्ट के आधार पर यह पता चला कि टाइप 1 डायबिटीज दर पहले वर्ष से 1.14 गुना अधिक है. कोविड महामारी की शुरुआत के बाद दूसरे वर्ष में यह 1.27 गुना अधिक है. बच्चों और किशोरों में टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में भी वृद्धि हुई है. अध्ययन में डायबिटीज केटोएसिडोसिस (डीकेए) की उच्च दर भी पायी गयी. यह दर महामारी से पहले की तुलना में 1.26 गुना अधिक है. टाइप 1 डायबिटीज सबसे आम और गंभीर है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है. यह तब विकसित होता है, जब शरीर में रक्त शर्करा को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए कोशिकाओं में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है.
कनाडा में कारणों को लेकर चल रहा है शोध
इधर, कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की बढ़ती संख्या के लिए संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता है. हमने महामारी के दौरान बच्चों और किशोरों में डायबिटीज के लक्षण पाये हैं. टीम ने कहा, यह चिंताजनक है. यह लंबे समय तक मरीज को प्रभावित करता है. इससे मृत्यु का खतरा भी बना रहता है. वहीं, शोधकर्ताओं ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि मामलों में वृद्धि किस कारण से हुई है, कुछ सिद्धांत हैं जिनमें यह कहा गया है कि कोविड संक्रमण के बाद बच्चों में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.