पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज में UG-PG नामांकन को मिली अनुमति, इतने सीटों पर होगा दाखिला
पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में नामांकन पर लगी रोक हटा ली गयी है. अब यहां वर्ष 2022-23 के लिए बीएएमएस व पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई शुरू करने की अनुमति मिल गयी है.
पटना: बिहार की राजधानी पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में नामांकन पर लगी रोक हटा ली गयी है. अब यहां वर्ष 2022-23 के लिए बीएएमएस व पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई शुरू करने की अनुमति मिल गयी है.
स्वास्थ्य विभाग की गारंटी के आधार पर मिली नामांकन की अनुमति
स्वास्थ्य विभाग की गारंटी के आधार पर कॉलेज में नामांकन की अनुमति दी गयी है. प्रिंसिपल डॉ संपूर्णानंद ने कहा कि इस मंजूरी के बाद अब हमारे यहां बीएएमएस में 125 और पीजी में 85 सीट पर एडमिशन किया जायेगा. यहां आयुर्वेद के सभी 14 विषयों में पढ़ाई होने लगेगी. जल्द ही एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. इससे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को काफी राहत मिलेगी.
भारतीय चिकित्सीय पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने जारी किया पत्र
आयुष मंत्रालय के भारतीय चिकित्सीय पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नयी दिल्ली ने कॉलेज को अनुमति दी है. राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज को इससे जुड़ा पत्र भी प्राप्त हो चुका है. यह जानकारी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ संपूर्णनंद तिवारी ने दी है.
आयोग ने आयुर्वेदिक कॉलेज में व्याप्त खामियों को आधार बनाकर मौजूदा सत्र 2022-23 में एडमिशन लेने से इनकार किया था. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के निर्देश के बाद नामांकन बचाने को लेकर प्रिंसिपल डॉ संपूर्णानंद तिवारी व उनकी टीम दिल्ली गयी. सभी खामियों को दुरुस्त कर सुविधा बढ़ाने की बात कही गयी.
नामांकन पर एनसीआईएसएम ने लगायी थी रोक
बता दें कि राजकीय आयुर्वेदिक काॅलेज अस्पताल पटना में सत्र 2022-23 सत्र में नामांकन पर नेशनल कमीशन फाॅर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) ने रोक लगा दी थी. यहां यूजी में 125 और पीजी में 85 सीटें हैं. नामांकन की अनुमति देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर अंडरटेकिंग पर प्राचार्य डॉ. एसएन तिवारी और उपाधीक्षक डॉ. धनंजय शर्मा भी नामांकन की अनुमति की जानकारी लेने दिल्ली गए थे. दरअसल, एनसीआईएसएम ने निरीक्षण के दौरान फैकल्टी की कमी बताई थी. 2019 में यूजी की सीटें 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गईं. उसके बाद से ही फैकल्टी की कमी की जानकारी सामने आ रही थी.