पटना. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं. इसमें जिन उच्च शिक्षण संस्थानों को नैक में 2.5 या उससे अधिक प्वाइंट हैं, वही अब उच्च शिक्षा दे पायेंगे. यानी नैक में कम-से-कम बी-प्लस ग्रेड होना जरूरी है.
यूजीसी का फोकस इस ओर है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता छात्रों को मिले. यूजीसी का यह निर्देश सभी विश्वविद्यालयों को सर्कुलेट कर दिया गया है. सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वर्ष 2022 तक का समय दिया गया है. उसके बाद अगर नैक में उक्त ग्रेड प्राप्त नहीं होगा, तो वे कोर्स नहीं चला सकेंगे.
यूजीसी ‘परामर्श’ के माध्यम से संस्थानों की ग्रेड पाने में मदद कर रहा है. जिन शिक्षण संस्थानों के पास नैक की मान्यता नहीं है या उनके पास उक्त ग्रेड नहीं है, तो वे ‘परामर्श’ का सहयोग ले सकते हैं. 167 मेंटर संस्थानों को इसके लिए स्वीकृति दी गयी है, जो 936 गैर मान्यताप्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों को नैक मान्यता प्राप्त करने में मदद करेंगे. इनकी सूची यूजीसी की वेबसाइट पर मौजूद है.
पटना विश्वविद्यालय को नैक में ‘बी प्लस’ ग्रेड प्राप्त है. लेकिन, जब यह ग्रेड नहीं था, तो डीडीइ की मान्यता रुकी हुई थी. हालांकि, डिस्टेंस कोर्स चलाने के लिए यूजीसी ने ‘ए ग्रेड’ की शर्त रखी हुई है. वर्तमान नियम को देखें, तो उसे राहत मिल सकती है. वहीं, इसी तरह पटना कॉलेज को ‘सी ग्रेड’ प्राप्त है. उसे अपने आपको अपग्रेड करना होगा.
इसी प्रकार साइंस कॉलेज को ‘बी ग्रेड’ प्राप्त है. उसे भी अपग्रेड करना होगा. वाणिज्य कॉलेज के पास अपना भवन नहीं होने से नैक का आवेदन ही रद्द हो चुका है. बीएन कॉलेज में नैक की टीम मार्च में आने वाली है. इसी प्रकार आर्ट कॉलेज को भी मान्यता लेनी है. लॉ कॉलेज को भी नैक में ‘बी ग्रेड’ प्राप्त है. उसे भी दिक्कत हो सकती है.
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, नालंदा खुला विवि, मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय के पास नैक नहीं है. पीपीयू के ज्यादातर कॉलेजों को नैक की मान्यता ही नहीं है. सिर्फ कुछ ही कॉलेज को मान्यता है.
उच्च शिक्षण संस्थानों को यूजीसी द्वारा कई तरह के अनुदान उनकी बेहतरी व विकास के लिए समय-समय पर दी जाती है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रुसा) के तहत भी राशि नैक होने पर ही प्राप्त होगी. अगर विश्वविद्यालय व संबंधित संस्थान अपने स्तर को सुधार नहीं करेंगे, तो उन्हें अनुदान मिलना तो बंद हो ही जायेगा. आगे उनके अस्तित्व पर भी खतरा रहेगा.
Posted by Ashish Jha