पटना. बिहार में महागठबंधन की सरकार के रोजगार देने के संकल्प का असर दिखने लगा है. नयी सरकार बनने के बाद बड़े पैमाने पर विभिन्न विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में सितंबर माह में बिहार में बेरोजगारी के आंकड़े सरकार के लिए राहत देनेवाला है. वैसे राष्ट्रीय स्तर पर भी सितंबर माह में बेरोजगारी दर घटकर 6.43 प्रतिशत पर आ गयी है. बिहार से अधिक बेरोजगारी राजस्थान, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, त्रिपुरा और झारखंड में है. सीएमआइइ ने यह जानकारी दी है. इसके आंकड़े के अनुसार सितंबर में सर्वाधिक 23.8% की बेरोजगारी दर राजस्थान में रही, जबकि जम्मू कश्मीर में यह 23.2%, हरियाणा में 22.9%, त्रिपुरा में 17%, झारखंड में 12.2% और बिहार में 11.4% रही. वहीं, सबसे कम बेरोजगारी दर छत्तीसगढ़ में 0.1% आंकी गयी.
सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने बताया कि सितंबर माह में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रम भागीदारी में वृद्धि हुई है. ऐसे में बेरोजगारी दर में काफी गिरावट आयी है. ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर सितंबर में घटकर 5.84 फीसदी रह गयी, जो अगस्त में 7.68 फीसदी थी, जबकि शहरी इलाकों में यह घटकर 7.70 फीसदी रह गयी हैं, जो पिछले महीने 9.57 फीसदी थी. उन्होंने यह भी कहा कि श्रम भागीदारी में लगभग 8 मिलियन की वृद्धि इस बात का संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है.
सीएमआईई के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाये तो कई चौंकानेवाले नतीजे सामने आये हैं. कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी कोई समस्या ही नहीं है. छत्तीसगढ़ में सितंबर माह में सबसे कम 0.1 फीसदी बेरोजगारी दर्ज की गयी है. वैसे भाजपा शासित असम में 0.4 फीसदी, उत्तराखंड में 0.5 फीसदी, मध्य प्रदेश में 0.9 फीसदी, गुजरात में 1.6 फीसदी बेरोजगारी की दर दर्ज हुई है. इसी प्रकार मेघालय में 2.3 फीसदी और ओडिशा में 2.9 फीसदी बेरोजगारी का डेटा सामने आया है.
जानकारों का कहना है कि अगस्त में अनियमित बारिश से ग्रामीण रोजगार में कमी आयी. इसके चलते बेरोजगारी दर एक साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. अनियमित बारिश ने बुआई गतिविधियों को काफी हद तक प्रभावित किया हैं. इससे खेतिहर मजदूरों को काम नहीं मिला और ग्रामीण भारत में रोजगार प्रभावित हुआ. सीएमआईई के आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि अगस्त में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.6 प्रतिशत हो गयी थी और ग्रामीण बेरोजगारी दर भी बढ़कर 7.7 प्रतिशत.