शहरी क्षेत्र की बड़ी आबादी को आधारभूत संरचनाएं और सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने आम बजट में विशेष प्रबंध किया है. इसके तहत शहरों को भविष्य के लिए तैयार करने, उनके भूमि संसाधनों के कुशल उपयोग, शहरी बुनियादी ढांचों के लिए पर्याप्त संसाधन और वाहन साधन विकास आदि पर सरकार का फोकस रहेगा. इसके साथ ही टियर टू व टियर थ्री श्रेणी के शहरों में बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये रुपये के अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (यूआइडीएफ) की घोषणा की गयी है. यह राशि प्रति वर्ष शहरी निकायों को मिलेगी. पटना छोड़ कर बिहार के सभी शहर इसी श्रेणी में आते हैं. ऐसे में उनको विशेष फंड मिल सकेगा.
दरअसल पिछले दो-तीन वर्षों के दौरान बिहार में शहरी निकायों की संख्या दोगुनी से अधिक बढ़ गयी है. पहले राज्य में कुल नगर निकायों की संख्या 142 थी, जो अब 261 हो गयी है. शहरी आबादी भी 11.27 फीसदी से बढ़ कर 15.28 फीसदी यानी 1.59 करोड़ हो गयी है. आधारभूत संरचना तैयार करने को लेकर विशेष फंड मिलने पर इन शहरों में ड्रेनेज सिस्टम, मशीनों के माध्यम से शहर की साफ-सफाई, सड़क, परिवहन, जलापूर्ति, पार्क, स्ट्रीट लाइट, शौचालय आदि सामुदायिक सुविधाएं बढ़ेंगी. शहरी विकास की अन्य योजनाओं पीएम आवास योजना, नल-जल आदि के लिए भी अधिक राशि मिलने की संभावना है.
केंद्र सरकार ने बजट में शहरी स्वच्छता और शहरों के क्रेडिट बढ़ाने पर जोर दिया है. सरकार का सभी शहरों में मल के निबटारे और मैनहोलों की सफाई के लिए 100 फीसदी तकनीक का उपयोग करने पर फोकस की बात कही है. इसके लिए उनको उपकरणों के माध्यम से सक्षम बनाया जायेगा. सूखे और गीले कचरे के प्रबंधन को लेकर अलग से नीति तैयार की जायेगी. शहरों की क्रेडिट बढ़ाने के लिए उनको म्यूनिसिपल बांड के लिए तैयार किया जायेगा.
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केंद्र सरकार ने मेट्रो प्रोजेक्टस के लिए समेकित रूप से करीब 20 हजार करोड़ रुपये का प्रबंध किया है. पटना मेट्रो को इस मद से चिह्नित पर्याप्त राशि मिलेगी. सूबे के चार शहरों पटना, मुजफ्फरपुर, गया, बिहारी और भागलपुर में चल रहे स्मार्ट सिटी और अन्य शहरों में अमृत योजना पर पहले से ही काम चल रहा है. टियर टू श्रेणी में 18 नगर निगम और 83 नगर परिषद क्षेत्र आते हैं, जिनकी आबादी 50 हजार से अधिक है. कुछ नगर पंचायतों को छोड़ कर अन्य नगर पंचायत टियर थ्री श्रेणी के शहरों में शामिल हैं.