केंद्रीय बजट (2023-24) के अनुमान के अनुसार बिहार को अगले वित्तीय वर्ष में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 1,02,737 करोड़ रुपये मिलेंगे. यह चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में 17,288 करोड़ रुपये अधिक है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्रीय करों की हिस्सेदारी के रूप में बिहार के लिए 95,509 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर तय कि जाती है.15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर केंद्र के कुल करों के संग्रह का 42% राज्यों के बीच बांटे जाते हैं. उसमें से बिहार के हिस्से में 10.058% आती है. बिहार के लिए इसकी अहमियत इसलिए भी और बढ़ जाती है कि राज्य का अपना कर बेस कुल राजस्व का केवल 25% ही है.
राज्य केंद्रीय करों की हिस्सेदारी के आधार पर अपने बजट का आकार तय करती है. अगर बिहार के चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 को देखें तो केंद्रीय करों में हिस्सेदारी मद में 91,180 का उल्लेख किया गया है, जो कि राज्य के बजट का लगभग 45% है. एक जिला एक उत्पाद के तहत बाजार उपलब्ध करवाने के लिए राज्य की राजधानी या प्रमुख पर्यटन स्थलों पर यूनिटी मॉल खोलने की घोषणा की गयी है. इसका लाभ भी बिहार के एमएसएमइ और हस्तशिल्पियों को मिलेगा.
बजट पूर्व बैठक में बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पूंजीगत व्यय के लिए ब्याज मुक्त ऋण सहायता योजना को वर्ष 2023-24 में भी चालू रखने की मांग रखी थी. केंद्रीय बजट में इसका प्रावधान है. 1.30 लाख करोड़ रुपये की इस सहायता योजना का लाभ भी बिहार को मिलेगा.
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राजकोषीय उत्तर दायित्व बजट घाटा प्रबंधन कानून के तहत ऋण लेने की सीमा बढ़ाने की बिहार की मांग अनसुनी कर दी गयी. अब अगले वित्तीय वर्ष में बिहार अपने सकल घरेलू उत्पाद का 3.50% ही ऋण ले सकता है,जबकि मांग 4% करने की थी.
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए संपूर्ण पैकेज के रूप में विकसित किये जाने के लिए चैलेंज मोड के माध्यम से 50 पर्यटन स्थलों का चयन किया जायेगा.बिहार के बोधगया का चयन इस योजना के तहत किया जा सकता है.