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जमुई में स्कूल भवन के लिए बच्चों का अनोखा प्रदर्शन, सड़क किनारे बैठ छात्रों ने शुरू कर दी पढ़ाई

जमुई में कुछ बच्चों ने मंगलवार को अपने अभिभावकों के साथ पहुंचकर सड़क किनारे बैठ पढ़ाई शुरू कर दी. यह बच्चे वीन प्राथमिक विद्यालय पचकठिया के छात्र हैं. जो विद्यालय भवन नहीं होने की वजह से इस अनोखे तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे.

जमुई. बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कई निर्देश दिए जा रहें. स्कूलों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति 75 प्रतिशत अनिवार्य कर दी गई है. लेकिन अगर विद्यालय में बैठने-पढ़ने की उचित व्यवस्था ही नहीं हो तो बच्चे स्कूल आकर भी क्या करें. अब एक ताजा मामला जमुई से आया हैं. जहां विद्यालय भवन नहीं होने के कारण बच्चों को पढ़ने -लिखने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी बात से नाराज स्कूली बच्चों ने मंगलवार को एक अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान सैकड़ों बच्चों ने सड़क पर ही अपनी पाठशाला लगा ली और जमीन पर बैठकर किताबें खोल ली. इसके बाद बच्चों ने सड़क किनारे ही ए फॉर एप्पल तथा बी फॉर बॉल की पढ़ाई शुरू कर दी. इस बात की जानकारी जब जिला प्रशासन को हुई तो उनके होश उड़ गए. इसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी कपिल देव तिवारी दौड़े-दौड़े मौके पर पहुंचे.

13 वर्षों से विद्यालय के पास नहीं है भवन

दरअसल यह पूरा मामला जिले के चकाई प्रखंड क्षेत्र के पोझा पंचायत के पंचकठिया गांव से जुड़ा हुआ है, जहां बीते 13 वर्षों से विद्यालय के पास अपना भवन नहीं है. लगातार मांग करने के बाद भी जब विद्यालय को अपना भवन नहीं मिला, तब स्कूली बच्चों ने अपने गांव से करीब 60 किमी दूर जिला मुख्यालय के कचहरी चौक पर यह अनोखा प्रदर्शन किया. इस दौरान बच्चों ने स्लोगन से लिखे बैनर भी अपने कपड़ों पर लगा रखा था.

राष्ट्रीय गान गाकर बच्चों ने शुरू किया प्रदर्शन

मंगलवार को भाकपा माले के जन संगठन आदिवासी संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में बच्चे और उनके अभिभावक मंगलवार की सुबह 11:00 बजे के करीब जिला मुख्यालय के कचहरी चौक पहुंचे. इस दौरान पहले बच्चों ने राष्ट्रीय गान गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की, फिर नारेबाजी करते हुए स्टेडियम परिसर के पास पहुंचे जहां उन्होंने सड़क पर ही अपनी क्लास लगानी शुरू कर दी.

क्या बोले बच्चे…

इस दौरान बच्चों ने बताया कि हमारे विद्यालय का अपना भवन नहीं है तथा हम मिट्टी के कमरे में किसी तरह से पढ़ने को विवश हैं. बच्चों ने कहा कि एक कमरे में विद्यालय के सभी बच्चे नहीं बैठ पाते हैं, ऐसी स्थिति में हमें पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. बारिश में वज्रपात का डर रहता है, तो गर्मियों में स्थिति काफी विकराल हो जाती है. इसे लेकर हमने पिछले कई वर्षों से संबंधित पदाधिकारी से इसकी मांग की लेकिन हमारे विद्यालय का भवन अब तक नहीं बन सका है.

मंत्री – सांसद चकाई को चंडीगढ़ बनाने का मुंगेरीलाल का हसीन सपना दिखाते हैं

मौके पर भाकपा माले नेता शंभू शरण सिंह ने कहा कि आजादी के 76 साल बाद भी बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं होना और भारत को विश्व गुरु बनने का सपना देखना बेमानी है. युवा नेता बाबू साहब ने कहा कि एक तरफ शिक्षा विभाग के सचिव अपना चेहरा चमकाने के लिए लगातार नए फरमान जारी कर रहे हैं, तो वहीं छात्रों को पढ़ने के लिए ना तो स्कूल है और नहीं उन्नत किस्म की शिक्षा पद्धति है. उन्होंने कहा कि मंत्री – सांसद चकाई को चंडीगढ़ बनाने का मुंगेरीलाल का हसीन सपना दिखाते हैं, लेकिन आदिवासी बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल तक नसीब नहीं है. बच्चे सड़क पर पढ़ने को मजबूर है जो जमुई के लिए बड़े ही शर्म की बात है.

अधिकारियों ने दिया आश्वासन तो खत्म हुआ प्रदर्शन

इस दौरान अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी कपिल देव तिवारी बच्चों के पास पहुंचे और उन्हें एक महीने के अंदर विद्यालय के निर्माण कार्य शुरू किए जाने का आश्वासन देकर वहां से उठाकर वापस अपने घर भिजवाया. इस दौरान बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि अगर डेढ़ महीने के अंदर स्कूल भवन का निर्माण नहीं हुआ तो इस बार समाहरणालय गेट पर बच्चे पढ़ाई करेंगे.

क्या बोले अधिकारी

मौके पर पहुंचे जमुई एसडीओ अभय कुमार तिवारी ने बताया कि यह मामला चकाई प्रखंड के आदिवासी बाहुल्य पोझा पंचायत का है. जहां स्कूल की मांग को लेकर सरकार ने 2010 में विद्यालय की स्थापना भी की थी. उन्होंने कहा कि स्कूल के लिए जमीन आवंटित कर दी गयी है. आवंटन प्राप्त होते ही विद्यालय का निर्माण कार्य कराया जायेगा, कुछ ही माह में विद्यालय का कार्य वहां प्रारंभ हो जायेगा और बच्चे विद्यालय में पढ़ सकेंगे.

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मौके पर ये छात्र रहे मौजूद

मौके पर छात्र राजेश मरांडी, करिश्मा कुमारी, गोपाल मरांडी, राकेश मरांडी, अमित मुर्मू, सुमित मुर्मू, जानकी कुमारी, मंजिला मरांडी, बुधन टुडू, संजय राय, खूब लाल राणा, राजकिशोर किस्कू, वासुदेव राय, जयराम तुरी, मो. हैदर, ब्रह्मदेव ठाकुर, रानी हांसदा सहित बड़ी संख्या में अन्य लोग शामिल रहे.

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