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बिहार के गया में संचालित है अनूठा पुस्तकालय, अध्यात्म से जुड़ी नौ सौ से अधिक दुर्लभ पुस्तकों का यहां है संग्रह

देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में तीर्थ नगरी के रूप में गयाजी यानी मोक्ष धाम स्थापित है. इसकी इस महत्ता को चार चांद लगाने में शहर के एक चिकित्सक भी अहम किरदार निभा रहे हैं.

गया . देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में तीर्थ नगरी के रूप में गयाजी यानी मोक्ष धाम स्थापित है. इसकी इस महत्ता को चार चांद लगाने में शहर के एक चिकित्सक भी अहम किरदार निभा रहे हैं.

एक तरफ जहां पूरा देश तेजी से डिजिटल इंडिया से जुड़ रहा है, वहीं आम लोगों की सोच से परे हटकर उक्त चिकित्सक ने विशेषकर शहर की धार्मिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने निजी कोष से ही शहर के दक्षिणी क्षेत्र स्थित विष्णुपद मंदिर परिसर में धर्मग्रंथालाय की स्थापना कर दी है.

धर्मग्रंथालाय में नौ सौ से अधिक धार्मिक पुस्तकों का है संग्रह : करीब दो सौ स्क्वायर फुट क्षेत्र में स्थापित इस पुस्तकालय में नौ सौ से अधिक धार्मिक व अन्य पुस्तकों का संग्रह उपलब्ध है.

इस पुस्तकालय में सभी चारों वेद, तुलसीदास, वाल्मीकि सहित देश के कई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लेखकों द्वारा रचित रामायण, महाकाव्य, पुराण, उपनिषद, संतों के विचार से जुड़ी पुस्तकें, गया व मगध की साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व पौराणिक क्षेत्रों से जुड़ी पुस्तकों के अलावा कई अमूल्य व दुर्लभ पुस्तकों का संकलन भी इस पुस्तकालय में उपलब्ध है.

मार्च 2018 में इस पुस्तकालय की रखी थी नींव

शहर के चिकित्सक डॉ नंदकिशोर गुप्ता ने अपनी विरासत में मिली प्रेरणा से मार्च 2018 में इस पुस्तकालय की स्थापना की थी. उन्होंने बताया कि तब से यह पुस्तकालय प्रत्येक दिन सुबह 10 से दोपहर 12 बजे व शाम में 4:30 से रात 8:30 बजे तक खुल रहा है. उन्होंने बताया कि देश सहित दुनिया के कई अन्य देशों के अब तक सात हजार से अधिक विजिटर यहां आ चुके हैं.

कोरोना के कारण पुस्तकालय को भी बंद रखना पड़ा. यदि यह बंद नहीं होता, तो विजिटरों की संख्या के आंकड़े में भी काफी वृद्धि होती. उन्होंने कहा कि पिंडदान के निमित्त आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या विजिटरों में सबसे अधिक है. उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों से जुड़ी पुस्तकों को भी मंगाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह पुस्तकालय नि:शुल्क संचालित है.

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