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बिहार के विश्वविद्यालयों ने नहीं दिये 25 सौ करोड़ के हिसाब, अब अनुदान से वेतन तक पर लगी रोक

राज्य सरकार को अभी तक 2500 करोड़ (ढाई हजार करोड़) रुपये से अधिक के उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिये हैं. ये प्रमाण पत्र वेतन से लेकर दूसरे तमाम अनुदानों से संबंधित हैं. शिक्षा विभाग ने इसको लेकर संबंधित विश्वविद्यालयों को चेतावनी जारी कर दी है.

पटना. तीन नये विश्वविद्यालयों पाटलिपुत्र, पूर्णिया और मुंगेर विश्वविद्यालय को छोड़ कर शेष किसी ने भी राज्य सरकार को अभी तक 2500 करोड़ (ढाई हजार करोड़) रुपये से अधिक के उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिये हैं. ये प्रमाण पत्र वेतन से लेकर दूसरे तमाम अनुदानों से संबंधित हैं. शिक्षा विभाग ने इसको लेकर संबंधित विश्वविद्यालयों को चेतावनी जारी कर दी है.

अनुदान रोकने से लेकर लापरवाह अफसरों की सैलरी तक पर रोक

अब शिक्षा विभाग उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देनेवाले विश्वविद्यालयों पर शिकंजा कसने जा रहा है. इसके तहत शिक्षा विभाग के अफसर अगले सप्ताह से विश्वविद्यालयों के वित्तीय प्रबंधन की छानबीन करेगा. इसके बाद भी अगर विश्वविद्यालयों ने राशि के उपयोग की जानकारी नहीं दी, तो शिक्षा विभाग अनुदान रोकने से लेकर लापरवाह अफसरों की सैलरी तक रोक सकता है.

इस मामले की निगरानी हाइकोर्ट कर रहा

सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालयों पर वर्ष 2002-03 से 2018-19 तक के उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है. इस मामले की निगरानी हाइकोर्ट कर रहा है. लिहाजा अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने उच्च शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया है कि वह उपयोगिता प्रमाण पत्र हासिल करें. उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी विश्वविद्यालयों को एक पत्र भी लिखा है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री से प्रो चंद्रशेखर ने मांगे बिहार के छह हजार करोड़

राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर सिंह ने बुधवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से नयी दिल्ली में मुलाकात कर शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं में बिहार की हिस्सेदारी की मांग की. उन्होंने कहा कि केंद्रांश की राशि न मिलने की वजह से बिहार की शिक्षा प्रभावित हो रही है. बिहार की की राशि जल्दी- से- जल्दी दी जाये. प्रो चंद्रशेखर ने कहा कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जल्दी ही जरूरी राशि जारी करने का आश्वासन दिया है.

उच्च शिक्षा की 11 करोड़ से अधिक की राशि केंद्रांश के रूप में बकाया

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