बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से विश्वविद्यालय सहित सभी कॉलेजों के राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मूल्यांकन के लिए टीम गठित की जायेगी. कॉलेजों में नैक मूल्यांकन की तैयारियों में हो रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए यह टीम मार्गदर्शन करेगी. शिक्षा विभाग मूल्यांकन को लेकर कॉलेजों की उदासीनता को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. विवि को पत्र भेज कर कहा है कि यूजीसी ने नैक मूल्यांकन को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है. इसके बावजूद कॉलेजों की ओर से इस दिशा में रुचि नहीं ली जा रही है, जिसका प्रभाव बच्चों के भविष्य पर हो रहा है. कहा गया है कि विशेष परिस्थिति में कॉलेज औपबंधिक एक्रीडिटेशन प्राप्त करने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं. हालांकि यह व्यवस्था पहली बार मूल्यांकन कराने वाले कॉलेजों के लिए ही दी गयी है.
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय सहित इससे संबद्ध दो दर्जन कॉलेजों के नैक मूल्यांकन के पहले चरण की वैधता समाप्त हो चुकी है. वहीं 18 कॉलेजों ने अब तक नैक मूल्यांकन की दिशा में पहल ही नहीं की. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अंगीभूत के साथ ही संबद्ध डिग्री कॉलेजों के लिए भी नैक अनिवार्य कर दिया है. कहा गया है कि अब इन कॉलेजों को किसी प्रकार का अनुदान तभी प्राप्त होगा, जब वे नैक से मूल्यांकन कराएंगे. कॉलेज ने कोरोना काल का हवाला देकर दो वर्षों से विश्वविद्यालय को सालाना रिपार्ट भी नहीं भेजी है. विवि के अधिकारियों का कहना है कि नैक मूल्यांकन को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर कमेटी के गठन की तैयारी शुरू हो गयी है.
नैक की ग्रेडिंग नहीं होने पर संबंधित कॉलेज या विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को परेशानी होती है. नौकरी व आगे की पढ़ाई में उनके सर्टिफिकेट की वैल्यू कम हो जाती है. शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया है कि विश्वविद्यालय और कॉलेज मूल्यांकन के मानदंडों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाएं. बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की ओर से इसको लेकर समय-समय पर कार्यशाला का आयाेजन कर कालेजों को जागरूक करने की योजना है.