तमिलनाडु में हिंदी भाषी मजदूरों पर हो रहे अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं. हालांकि एक तरफ एसटीएफ डीआइजी ने इस पूरे प्रकरण को अफवाह करार दिया है, तो वहीं सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में जांच के निर्देश दिये हैं. इन सब के बीच तमिलनाडु के कोयंबटूर से भागकर निकले जमुई निवासी मजदूर अरमान ने प्रभात खबर के साथ बातचीत की. उसने मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचार का भयावह सच बताया.
अरमान अपने 12 साथियों को लेकर वहां से किसी तरह से भागकर निकला है. बिहार आने वाली ट्रेन में हैं. उसने यह भी बताया कि जिस जगह से वह आया है, वहां अभी भी एक हजार के करीब बिहारी मजदूर फंसे हुए हैं. लेकिन उनकी सुरक्षा को देखते हुए उसने उस जगह का नाम बताने से मना कर दिया.
अरमान ने बताया कि तिरपुर, कोयंबटूर सहित कुछ जगहों पर स्थिति काफी भयावह है. लोगों से उनकी भाषा पूछी जाती है और हिंदी भाषी होने पर उनका कत्ल कर दिया जाता है. अरमान ने बताया कि उनके मोहल्ले से पास ही के एक मोहल्ले में एक पति-पत्नी को उनके कमरे में घुसकर मौत के घाट उतार दिया गया.
Also Read: बिहारियों पर हमले को लेकर DGP आरएस भट्टी ने की तमिलनाडु के DGP से बात,किया चौकानेवाला खुलासा
अरमान बताते हैं कि स्थानीय लोग भी तमिल भाषी लोगों का ही साथ दे रहे हैं. शासन-प्रशासन से लेकर कोई भी इस मामले में कुछ नहीं कर रहा है. जो भी हिंदी भाषी मजदूर अकेले या सुनसान रास्ते में दिख रहे हैं, दिन-दहाड़े उनकी हत्या कर दी जा रही है.
अरमान ने बताया कि ये सब मजदूरी के पैसों को लेकर शुरू हुआ था. दरअसल बिहारी मजदूर वहां काफी कम पैसों में काम करते हैं. इसी बात को लेकर विवाद शुरू हुआ था. बिहारी मजदूर वहां 800 रुपये में काम करते थे. लेकिन तमिल मजदूरों द्वारा उन पर 1000 से 1200 रुपये लेने का दबाव बनाया जाने लगा. अरमान बताते हैं कि वो हम पर यह दबाव बनाने लगे. लेकिन जब बिहारी मजदूरों ने मना किया, तब मामला बिगड़ गया. इसके बाद कत्लेआम शुरू हो गया. अरमान का दावा है कि अबतक करीब बीस लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है.