राजेश कुमार ओझा
यूपी चुनाव का असर बिहार पर भी दिखने लगा है. एनडीए में यूपी चुनाव को लेकर दरार अब साफ दिखने लगी है. वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षण के मुद्दे पर पीछे नहीं हटने वाले है. चाहे इसके कारण हमारी बिहार में सरकार रहे या जाए. आगे उन्होंने कहा कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई तो हम योगी- योगी कहने के बदले योगी और मोदी मुर्दाबाद भी कहने से परहेज नहीं करेंगे. एनडीए के एक अन्य घटक दल ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ के दलित के घर चूड़ा दही खाने की थोड़ी देर बाद ट्वीट करते लिखा है कि चुनाव आया तो कई दलों के नेता दलित-आदिवासी परिवारों के घरों में भोजन करने जाएंगे. उनके विकास का हिस्सा खाने वालों, आखिर कब तक हमारे लोगों का निवाला छीनोगे. भले ही जीतन राम मांझी ने ट्वीट में किसी दल या नेता का नाम नहीं लिया हो, लेकिन उनका इशारा राजनीति के जानकार समझ रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि जदयू भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर भाजपा पर निरंतर दबाव बना रही है. जदयू ने यूपी चुनाव में 51 सीटों की अपनी दावेदारी पेश किया है.
दरअसल, बिहार में जो उनके 4 विधायक हैं उनमें से एक की मौत हो गई है. बचे दो वे दोनों विधायक बीजेपी पृष्ठभूमि के हैं. ऐसे में मुकेश सहनी बीजेपी को आंख तो दिखा सकते हैं, मगर कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकते. लेकिन, अब उनके साथ जीतनराम मांझी की पार्टी हम और जदयू भी साथ खड़ी दिख रही है. जदयू को थोड़ी देर के लिए किनारे भी कर दें तो वीआईपी को अगर हम का समर्थन मिल जाता है तो सरकार संकट में आ सकती है.
यूपी चुनाव की चर्चा शुरु होने के साथ ही बिहार में उसके घटक दलों ने बीजेपी को अपनी आंखें दिखाना शुरु कर दिया था. इसको लेकर बिहार में पिछले तीन महीने से सियसत तेज हो गई थी. लेकिन, चुनाव आयोग की घोषणा के बाद बिहार में पर्दे के पीछे की राजनीति अब सतह पर आ गई है. इसके बाद इस बात का भी कयास लगाया जाने लगा है कि क्या यूपी चुनाव के बाद बिहार की सरकार गिर जायेगी.