बिहार में जातीय सर्वे के आंकड़े के खिलाफ अब सड़क पर उतरेगी विरोधी पार्टी, जानिए क्या लगाए हैं आरोप..

बिहार में जातीय सर्वे के आंकड़े जारी किए गए तो इसे लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया. भाजपा ने इसमें त्रुटियां गिनाते हुए अब सड़क से लेकर सदन तक विरोध करने की बात कही है तो उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी धरना प्रदर्शन और राजभवन मार्च करेगी.

By ThakurShaktilochan Sandilya | October 9, 2023 8:16 AM

Bihar Caste Survey: बिहार में जातीय सर्वे का डाटा सार्वजनिक कर दिया गया है. बीते 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर जातीय सर्वे की रिपोर्ट बिहार सरकार ने जारी की थी. लेकिन जातीय सर्वे की रिपोर्ट को लेकर अब सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता को लेकर भाजपा हमलावर है. जबकि एनडीए के अन्य घटक दलों ने भी नाराजगी जाहिर की है. रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने भी इसका विरोध किया है और अब सड़क पर उतरकर विरोध करने का ऐलान किया है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी जिला मुख्ययालयों में प्रदर्शन करेगी. वहीं राजभवन मार्च भी उनकी पार्टी करेगी.


उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी सड़क पर उतरेगी..

रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि जाति गणना में मुख्यमंत्री की नहीं चली है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की चली है. जाति गणना में काफी विसंगतियां हैं. यह फर्जी आंकड़ा है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 2015 में किये गये सर्वे में चंद्रवंशी, बहेलिया और माली की संख्या अधिक थी. इस जाति गणना में उनकी संख्या काफी कम दिखायी गयी है. उन्होंने सवाल उठाया कि आठ साल में इनकी संख्या कैसे कम हो जायेगी. सरकार त्रुटियों को सुधार कर फिर से इस आंकड़ों को जारी करे. इसके लिए 11 अक्टूबर को पार्टी सभी जिला मुख्यालयों में धरना देगी और 14 अक्टूबर को राजभवन मार्च किया जायेगा. उक्त बातें पंचायती राज परिषद में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपेंद्र कुशवाहा ने कहीं.

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भाजपा ने क्या लगाए आरोप?

वहीं बीजेपी ने भी जातीय सर्वे के आंकड़ों में त्रुटियां गिनायी हैं और इसका विरोध किया है. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के जातीय सर्वे में कुछ जातियों को कम और कुछ खास जातियों को उनकी उपजातियों को जोड़ कर ज्यादा दिखाने जैसी कई गंभीर शिकायतें मिल रही हैं. जातियों के वर्गीकरण में भेदभाव किया गया है.इसके निराकरण और जातियों का नया वर्गीकरण करने के लिए सरकार को हाइकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग गठित करना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि सर्वे में ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप जैसी दर्जनभर यदुवंशी उपजातियों को एक जातीय कोड यादव देकर इनकी आबादी 14.26 फीसदी दिखायी गयी. कुर्मी जाति की आबादी को भी घमैला, कुचैसा, अवधिया जैसी आधा दर्जन उपजातियों को जोड़ कर 2.87 फीसदी दिखाया गया. वैश्य, मल्लाह व बिंद जैसी जातियों को उपजातियों में खंडित कर इनकी आबादी इतनी कम दिखायी गयी कि इन्हें अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास नहीं हो?

नेता प्रतिपक्ष का आरोप..

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने जाति गणना रिपोर्ट पर सभी आपत्तियों का निष्पादन करने के बाद ही नियमानुसार आगे की कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि सरकार हड़बड़ी में है. कई कोटियों की आपत्ति को अनदेखा किया जा रहा है. यदि इनकी आपत्तियों का निराकरण कर सुधार नहीं होगा तो ये सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो जायेंगे. विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार के द्वारा अतिपिछड़े और दलितों की हकमारी कर मुस्लिम तुष्टीकरण की साजिश की जा रही है. आंकड़ों में हेराफेरी कर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर दिखाने का प्रयास हो रहा है ताकि वे केंद्रीय योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाएं. भाजपा इसका सड़क से सदन तक विरोध करेगी.

जदयू की ओर से क्या कहा गया? सीएम नीतीश क्या बोले..

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी को 1931 की जनगणना रिपोर्ट का अध्ययन करने की सलाह दी है. नीरज कुमार ने कहा है कि 1931 की जनगणना में घमैला, कुचैसा, अवधिया आदि जातियों की अलग गणना नहीं की गयी थी. 1931 की जनगणना रिपोर्ट का खंड सात, बिहार ओडिसा, भाग दो के टेबल संख्या 17 में पृष्ठ संख्या 136 से 139 तक देख सकते हैं. इनका कहीं कोई जिक्र नहीं है. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जाति सर्वे की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए नौ दलों की बैठक हुई थी. सीएम ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इस गणना में ठीक ढ़ंग से सर्वे किया गया है. हर जाति की जानकारी दी गयी है. राज्य के सभी लोगों के उत्थान के लिए इसपर आगे विचार-विमर्श किया जाएगा. सब चीजों को ध्यान में रखकर ही काम होगा. राज्य के हित में सबकी सहमति से ही काम करने की बात नीतीश कुमार ने की और सभी दलों से आगे भी सुझाव मांगा है. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने जातीय सर्वे की रिपोर्ट को जारी करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.

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