Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग हादसे में टनल में फंसे बिहार के भी 5 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. मुजफ्फरपुर के गिजास मठ ठोला निवासी दीपक मंगलवार की रात बजे जैसे ही बाहर निकले उसके मामा निर्भय कुमार सिंह ने उसे गले लगा लिया. मामा और भांजा दोनों की आंखों में आंसू थे, लेकिन यह खुशी के आंसू थे. पिछले 17 दिनों के इंतजार के बाद मौत के मुंह से दीपक वापस आये थे. निर्भय कुमार सिंह ने दीपक के पिता शत्रुघ्न पटेल को वीडियो कॉल कर दीपक से बात करायी. दीपक को देख पिता रो पड़े. दीपक ने उन्हें चुप कराया. दीपक के साथ मामा निर्भय सिंह एंबुलेंस से कुछ दूर स्थित मताली के अस्पताल में गये, जहां दीपक को भर्ती कराया गया. सुरंग से निकले सभी मजदूरों को यहीं लाया जा रहा था. दीपक के बाहर निकलते ही निर्भय सिंह ने अपने सभी रिश्तेदारों को दीपक की सकुशल वापसी की सूचना दी. बेटे के सुरंग में फंसने के बाद से ही दीपक की मां सदमे थी. वीडियो कॉल से जब उन्होंने दीपक से बात की तो सांत्वना मिली.
अपने बेटे और रिश्तेदारों के बाहर निकलने के इंतजार में कई दिनों से लोग सुरंग के पास डटे थे, दीपक के मामा निर्भय कुमार सिंह दीपावली के दूसरे दिन ही उत्तरकाशी चले गये थे. तबसे वे वहीं मौजूद थे. निर्भय कुमार सिंह ने कहा कि हमलोगों को लगातार यह कहा जा रहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है, सभी को बाहर निकाल लिया जायेगा. हमलोग भी इसी आशा में पल-पल गुजार रहे थे. एक बार रेस्क्यू ऑपरेशन फेल हुआ तो हमलोगों की बेचैनी बढ़ गयी. हालांकि यह विश्वास था कि दीपक सुरक्षित बाहर निकलेगा.
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सुरंग के पास मौजूद लोगों के बेटे ओर रिश्तेदारों जब सुरंग से बाहर आते वे उनसे लिपट जाते. उनका हाल-चाल पूछते. सभी के आंखों में खुशी के आंसू थे. निर्भय सिंह ने बताया कि यहां कोई भी ऐसा नहीं था, जिनके आंखों में आंसू नहीं थे, लेकिन ये खुशी के आंसू थे. करीब 17 दिनों बाद यहां अपनों का इंतजार कर रहे लोगों के चेहरे पर हंसी दिखी. सुरंग से बाहर निकले कई लोग बहुत कमजोर दिख रहे थे तो कई लोग मौत का सामना करने के कारण बहुत डरे हुये थे.
दीपक के टनल से बाहर निकलने की सूचना पर उसके टोले के लोग उसके घर जमा हो गये. सभी उसके पिता को बधाई दे रहे थे. साथ ही आसपास के बच्चों ने पटाखा जला कर दिवाली भी मनायी.अगल-बगल के सभी घरों में मिठाई भी बांटी गयी.