बिहार के सरकारी कॉलेजों में प्राचार्यों के खाली चल रहे करीब 164 स्थायी पदों पर नियुक्ति के लिए नियमावली करीब-करीब तैयार की जा चुकी है. शिक्षा विभाग ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने अपनी सहमति दी है. हालांकि, नियमावली के प्रावधान अभी बाहर नहीं आये हैं. फिलहाल शिक्षा विभाग कॉलेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रबंधन को दुरुस्त करने प्राचार्यों की भर्ती के लिए एक कदम आगे बढ़ गया है. शिक्षा विभाग नियमावली को मंजूरी के लिए अब राजभवन भेजेगा.
यहां कुलपतियों की एक समिति गठित की जायेगी. उसकी अनुशंसा पर कुलाधिपति इस नियमावली को हरी झंडी देंगे. उच्च शिक्षा की नियुक्ति संबंधी वर्तमान परिनियम में प्राचार्य की नियुक्ति के लिए प्रावधान नहीं है. अभी केवल सहायक प्राध्यापकों की नियुक्तियों का प्रावधान है. फिलहाल शिक्षा विभाग प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए अपनी तरफ से औपचारिक कवायद शुरू कर चुका है. विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि रिक्तियों की जानकारी जल्दी- से -जल्दी साझा करें.
260 डिग्री कॉलेजों में से 164 कॉलेजों में अभी कोई स्थायी प्राचार्य नहीं हैं. ये सभी कॉलेज प्रभारी प्राचार्यों के हवाले हैं. अंतिम रूप से रिक्तियां आ जाने के बाद नियुक्ति के लिए विवि सेवा आयोग को अधियाचना भेजी जायेगी. दरअसल विभाग, विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिये इस तरह की नियुक्ति कराने का निर्णय पहले ही ले चुका है. विभाग ने अभी तक औपचारिक तौर पर स्थायी प्राचार्यों के रिक्त पदों की जानकारी साझा नहीं की है.
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सूत्रों के मुताबिक पटना विवि में 10 सरकारी कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों के नौ पद,पाटलिपुत्र विवि में 16, जयप्रकाश विवि में आठ, मगध विवि में 8, ललित नारायण मिथिला विवि में 29, तिलकामांझी विवि में 11, वीर कुंवर सिंह विवि में 11, वीएन मंडल विवि में 10, बीआरए बिहार विवि में 24,मुंगेर विवि में 16, पूर्णिया विवि में 9 और केएलडीएस विश्वविद्यालय में 13 पद खाली हैं. शिक्षा विभाग का मानना है कि प्राचार्यों की स्थायी नियुक्ति से कॉलेजों का प्रबंधन सुधरेगा. प्रभारी प्राचार्यों की दिलचस्पी शैक्षणिक कार्यों में न के बराबर देखी गयी है.