पटना. पटना शहरी क्षेत्र में 89 प्रतिशत तक वैक्सीनेशन हो चुका है. यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिसके बाद कोरोना की संभावित तीसरी लहर में स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है. दूसरी ओर पटना के ग्रामीण क्षेत्र में 30 प्रतिशत से भी कम वैक्सीनेशन हुआ है. माना जा रहा है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आयी तो सबसे ज्यादा संक्रमण ग्रामीण क्षेत्र में ही फैलेगा.
ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन को लेकर शहरी क्षेत्र की तरह विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. इसका कारण वैक्सीन की कमी है. पटना के पास अगर एक लाख वैक्सीन का स्टोर हो जाये तो ग्रामीण क्षेत्र में विशेष अभियान चलाया जा सकता है.
पटना के ग्रामीण क्षेत्र में 2912433 लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट जिला प्रशासन ने रखा है. ये सभी लोग 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं. 26 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन का 7,47,290 डोज ही लगायया गया है. यह टारगेट का 26% ही था.
ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीनेशन पिछड़ने का कारण वहां वैक्सीन की कम उपलब्धता, वैक्सीनेशन सेंटरों की कम संख्या और लोगों में जागरूकता की कमी है. जून में ही एक सप्ताह के अंदर जिले के सभी प्रखंडों की एक-एक पंचायत में 100% वैक्सीनेशन का लक्ष्य तय था, लेकिन एक महीने से अधिक बीतने के बाद भी लक्ष्य नहीं पाया जा सका है.
पटना में वैक्सीनेशन को लेकर एक बड़ी आधारभूत संरचना तैयार हो चुकी है. पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्यकर्मी और सेंटर भी हैं. लोग भी वैक्सीन लेने के लिए अब आगे आ रहे हैं. वैक्सीनेशन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक पटना जिला रोजाना 50 हजार से ज्यादा लोगों को वैक्सीन का डोज दे सकता है.
इसके बावजूद जिले को जरूरत से कम वैक्सीन मिल पा रही है. 31 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक पटना जिले में कोरोना वैक्सीन की 27 लाख से ज्यादा डोज लगाया जा चुका है. इस तिथि तक जिले में 27,44,150 डोज लगाया जा चुका है.
पटना के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एसपी विनायक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में शहरी की तुलना में वैक्सीनेशन कम हुआ है. अगर हमारे पास एक लाख वैक्सीन का स्टोर हो जाये तो हम शहरी क्षेत्र की तरह ग्रामीण क्षेत्र में भी विशेष अभियान चला सकते हैं. पटना जिला रोजाना 50 हजार से ज्यादा वैक्सीन की डोज लगा सकता है.
Posted by Ashish Jha