भाई को इंजीनियर बनाने के लिए बेच रहा है गोलगप्पा

हाजीपुर : मरहूम पिता के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए खुद की पढ़ाई-लिखाई को छोड़ गोल गप्पा बेच कर परिवार में शिक्षा की रोशनी फैला रहा हाजीपुर का एक युवक . 17 वर्षीय युवक मनीष शहर के जीए इंटर स्कूल के सामने संस्कार गोल गप्पा भंडार नाम से ठेला लगा कर रोज सुबह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2017 6:37 AM

हाजीपुर : मरहूम पिता के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए खुद की पढ़ाई-लिखाई को छोड़ गोल गप्पा बेच कर परिवार में शिक्षा की रोशनी फैला रहा हाजीपुर का एक युवक . 17 वर्षीय युवक मनीष शहर के जीए इंटर स्कूल के सामने संस्कार गोल गप्पा भंडार नाम से ठेला लगा कर रोज सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक कड़ी मेहनत करता है. अपने परिवार का भरण – पोषण करने के साथ-साथ अपने छोटे भाई की पढ़ाई का सारा खर्च भी वह स्वयं वहन करता है.

मनीष न सिर्फ घर की माली हालत को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है, बल्कि अपने छोटे भाई प्रिंस को इंजीनियर बनाने की उम्मीद लिए दिन-रात पसीना बहा रहा है. जिससे उसका भाई पढ़ कर इंजीनियर बन सकें.

दस वर्ष की उम्र में ही पिता का उठ गया था साया: नगर के सांची पट्टी मोहल्ले में किराये के मकान में रहने वाला मनीष जब 10 वर्ष का था उसी समय उसके पिता की मौत हो गयी थी. उसके पिता ललित सिंह किसी गंभीर बीमारी के शिकार थे. घर में पैसों की तंगी थी. पिता का साया सिर से उठने के बाद युवक पर भाई – बहन की जिम्मेवारी आ गयी. शिक्षा ग्रहण करने की लालसा होते हुए भी उसने अपनी शिक्षा से ज्यादा महत्व अपनी पारिवारिक जिम्मेवारियों को दी.
महाजन से 10 हजार रुपये कर्ज लेकर लगायी गोल गप्पे की दुकान : युवक ने 10 हजार रुपया महाजन से कर्ज लेकर गोलगप्पे का ठेला लगाना शुरू किया. जिससे रोज तीन से चार सौ रुपये की आमदनी कर न सिर्फ घर की माली हालत को ठीक करने का प्रयास कर रहा है बल्कि भाई के इंजीनियर बनने में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचे,इसका भी ध्यान रख रहा है.
मां ने बताया जीवन संघर्ष में बीता
मूल रूप से पटना जिले के मगध क्षेत्र के बिरोयापुर निवासी ललित सिंह की मृत्यु होने के बाद उनके तीन छोटे छोटे बच्चों की परवरिश करना मुश्किल हो रहा था. पैतृक गांव में जमीन भी उतनी नहीं थी कि खेती-किसानी कर बच्चों की परवरिश कर पाती. मनीष की मां ने यह बताया और कहा कि कुछ दिनों के लिए अपने मायके महुआ थाना क्षेत्र के नरहरपुर में रही और उसके बाद अपनी बहन के यहां आ गयी. मनीष जब कुछ बड़ा हुआ तो इधर-उधर कुछ काम कर के और अन्य लोगों से सहयोग लेकर बड़ी बेटी सीमा की शादी की.
इस दौरान काफी तंगी के दौर से गुजरना पड़ा. जब मनीष खुद हाजीपुर में आ कर गोल गप्पे की दुकान लगाने लगा और परिवार के सभी सदस्य भी उसके इस काम में हाथ बटाने लगे. आज उसी दुकान की देन है कि मनीष खुद तो पढ़ाई नहीं कर पा रहा. लेकिन अपने छोटे भाई के पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर है.
क्या कहता है छोटा भाई प्रिंस
जीए इंटर विद्यालय के नौवीं कक्षा का छात्र प्रिंस का कहना है कि पढ़ कर इंजीनियर बन कर मां और भाई की परेशानियों को दूर करूंगा. उसका कहना है कि उसका बड़ा भाई उसकी पढ़ाई को लेकर बेहद संवेदनशील हैं और परिवार पर आने वाले प्रत्येक संकट में वे परिवार के साथ ताकत बन कर काम करूंगा.

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