कक्ष व शौचालय के लिए परेशान होती हैं छात्राएं
हाल लालगंज जीए उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का लालगंज : भवन का पता नहीं, लेकिन स्कूल को उत्क्रमित कर बना दिया इंटर स्तरीय विद्यालय. यह हाल है लालगंज के जी.ए. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का. विद्यालय में उच्च विद्यालय के संचालन के लायक भी भवन नहीं है, वहां इंटर स्तर की पढ़ाई कहां और कैसे होगी, यह […]
हाल लालगंज जीए उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का
लालगंज : भवन का पता नहीं, लेकिन स्कूल को उत्क्रमित कर बना दिया इंटर स्तरीय विद्यालय. यह हाल है लालगंज के जी.ए. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का. विद्यालय में उच्च विद्यालय के संचालन के लायक भी भवन नहीं है, वहां इंटर स्तर की पढ़ाई कहां और कैसे होगी, यह समझना मुश्किल है.
विद्यालय को सरकार द्वारा वर्ष 2017 से इंटर की पढ़ाई की अनुमति दे दी गयी. यहां इंटर के तीनों संकायों आर्ट्स, साइंस एवं कॉमर्स के लिए प्रत्येक बैच में 40- 40 छात्रों का नामांकन लिया जाना है. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. विद्यालय में नौवें वर्ग में 648 और दसवें वर्ग में 781 छात्र छात्राएं समेत कुल 1429 विद्यार्थी नामांकित हैं. तेरह सेक्शनों में बाट कर पठन-पाठन की व्यवस्था की गयी है. नौवीं कक्षा में छह तथा दसवीं में सात सेक्शन बनाये गये हैं. पढ़ने के लिए मात्र आठ क्लास रूम की व्यवस्था है. इनमें से तीन क्लास रूम बेहद जर्जर भवन में हैं. विद्यालय में छात्र-छात्राओं के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है. शिक्षक बताते हैं कि जिस दिन शत प्रतिशत छात्र-छात्राओं की उपस्थिति हो जाती है, उस दिन उपस्थिति लेने के बाद दो सेक्शनों के बच्चों को छुट्टी देनी पड़ जाती है. ऐसे में बिना नये भवन का निर्माण किये इंटर के तीन वर्गों का संचालन मुश्किलों से भरा है.
विद्यालय में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की है कमी : विद्यालय में प्रधानाध्यापक के अलावा 20 शिक्षकों को मिला कर शिक्षकों के कुल 21 पद स्वीकृत हैं, जिन पर शिक्षक-शिक्षिकाएं पदस्थापित हैं. संगीत के नये स्वीकृत पद पर भी एक शिक्षिका पदस्थापित हैं. वर्ष 2014 से इंटर विद्यालय के आठ शिक्षक यहां पदस्थापित है. जो उच्च विद्यालय के छात्र- छात्राओं को पढ़ाया करते हैं. विद्यालय के छात्र की संख्या के अनुसार 37 शिक्षकों की आवश्यकता सिर्फ उच्च विद्यालय में ही है. जबकि इंटर के वर्ग संचालन में और शिक्षकों की आवश्यकता होगी.
टंकी नहीं बनने से कारगर नहीं है शौचालय : विद्यालय में मात्र तीन शौचालय है. दो शौचालय शिक्षकों और छात्रों द्वारा उपयोग किया जाता है जबकि शिक्षकों एवं छात्राएं तीसरे शौचालय का उपयोग करती है. छात्राओं के लिए छह पेशाब घर बने है. जो छात्र छात्राओं एवं शिक्षकों की संख्या के अनुसार काफी कम है. भारत स्वच्छता मिशन के तहत अलग आठ सीटों का एक शौचालय बना है. जिसकी टंकी नहीं बनने के कारण वह कारगर नहीं है. परंतु वह कब तक बन पायेगा तथा किस एजेंसी के जिम्मे कार्य किया जा रहा है, विद्यालय प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं है.
खेल मैदान पर ग्रामीणों का कब्जा, प्रयोगशाला भवन भी नहीं : स्कूल के खेल का मैदान स्कूल से आधा किलोमीटर की दूरी पर है. जहां जाकर बच्चों को खेलने में परेशानी होती है. इस मैदान पर ग्रामीण युवाओं का कब्जा होता है. जिसके कारण स्कूली छात्रों के साथ कभी-कभी झड़प की स्थिति बन जाती है. स्कूल में प्रयोगशाला के लिए अलग से भवन नहीं है. अत बच्चों को क्लास रूम में ही प्रायोगिक क्लास करायी जाती है. जिसे बच्चों को काफी परेशानी हो रही है.