भवन बचाने को मशाल लेकर उतरीं महिलाएं

नाराजगी. आक्रोशित लोगों के विरोध को देखते हुए पुलिस प्रशासन को लौटना पड़ा सामुदायिक भवन तोड़ने से नगर प्रशासन को रोका अदालत के आदेश पर सामुदायिक भवन को तोड़ने पहुंचे थे प्रशासनिक पदाधिकारी हाजीपुर : नगर के वार्ड नंबर 27 में अदालत के आदेश पर सामुदायिक भवन को तोड़ने पहुंचे नगर प्रशासन की आक्रोशित लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2017 3:51 AM

नाराजगी. आक्रोशित लोगों के विरोध को देखते हुए पुलिस प्रशासन को लौटना पड़ा

सामुदायिक भवन तोड़ने से नगर प्रशासन को रोका
अदालत के आदेश पर सामुदायिक भवन को तोड़ने पहुंचे थे प्रशासनिक पदाधिकारी
हाजीपुर : नगर के वार्ड नंबर 27 में अदालत के आदेश पर सामुदायिक भवन को तोड़ने पहुंचे नगर प्रशासन की आक्रोशित लोगों के आगे एक न चली और प्रशासन को वापस लौटना पड़ा. पुलिस प्रशासन को स्थानीय नागरिकों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. सोमवार को नगर के पोखरा मोहल्ले में भीमराव आंबेडकर भवन के नाम से बने सामुदायिक भवन को तोड़ने के लिए जेसीबी जैसे ही आगे बढ़ी कि वार्ड नंबर 27 के लोग आक्रोशित हो उठे. महिलाएं विरोध में ज्यादा मुखर थीं.
उन्होंने हाथों में मशाल लेकर सामुदायिक भवन को घेर लिया. सोमवार को दोपहर बाद यह वाकया तब हुआ, जब पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर दंडाधिकारी के नेतृत्व में नगर प्रशासन पुलिस बल के साथ सामुदायिक भवन को तोड़ने पहुंचा. जेसीबी मशीन से भवन के एक हिस्से को तोड़ने की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई कि स्थानीय लोग इसके विरोध में मौके पर जुट गये. लोगों के विरोध के आगे पुलिस प्रशासन को बाध्य होकर अपने कदम पीछे करना पड़ा. न्यायालय के आदेश पर सामुदायिक भवन को तोड़ने गये प्रशासनिक दल में दंडाधिकारी के रूप में श्रम विभाग के अधिकारी, नगर थाने के अवर निरीक्षक रामेश्वर उपाध्याय, सिटी मैनेजर कंचन कुमारी समेत नगर पर्षद के अन्य कर्मी शामिल थे.
16 अगस्त को ही तोड़ने का था आदेश : नगर के वार्ड नंबर 27 निवासी कुंदन कश्यप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने उक्त जमीन पर सामुदायिक भवन बनाने के नगर पर्षद के निर्णय को गलत ठहराया था. न्यायालय ने सामुदायिक भवन को तोड़कर सरकारी रास्ते को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया था.
न्यायालय ने इसके लिए बीते 16 अगस्त की तिथि मुकर्रर की थी, लेकिन उस दिन यह कार्रवाई नहीं हो सकी. नगर पर्षद द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन से पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण उस तिथि को कार्रवाई नहीं हो सकी थी. आदेश को तामील करने के लिए सोमवार को नगर थाने की पुलिस दल बल के साथ सामुदायिक भवन को तोड़ने गयी थी. मौके पर लोगों का आक्रोश देखते हुए प्रशासन ने सामुदायिक भवन को आधे-अधूरे तोड़ कर न्यायालय के आदेश का पालन किया. मालूम हो कि इससे पूर्व भी न्यायालय के आदेश पर अतिक्रमण मुक्त करने गये प्रशासनिक अमले को लोगों के विरोध के कारण बैरंग वापस लौटना पड़ा था.
क्या कहते हैं अधिकारी
उच्च न्यायालय के आदेश पर नगर प्रशासन पुलिस बल के साथ सामुदायिक भवन को तोड़ कर सड़क की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने गया था. भवन के कुछ हिस्से को तोड़ा भी गया है. स्थानीय लोगों के विरोध के कारण पूरी तरह से अतिक्रमणमुक्त नहीं कराया जा सका. नागरिकों के साथ बैठक कर आपसी सहमति बनाने की कोशिश की गयी. आगे न्यायालय का जो दिशा निर्देश होगा, उसके अनुरूप कदम उठाया जायेगा.
सिद्धार्थ हर्षवर्द्धन, नगर कार्यपालक पदाधिकारी

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