फूलगोभी की खेती से समृद्ध हो रहे किसान

गोरौल(वैशाली) : सब्जी में अपना अलग महत्व रखने वाली फूलगोभी की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है. जिले में फूलगोभी की खेती से किसान अच्छी कमाई कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं. यह खेती भगवानपुर प्रखंड के वफापुर, किरतपुर, सतपुरा, वालिसपुर, गोढ़िया चमन के आसपास के गांवों में खूब कीजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2017 11:22 AM
गोरौल(वैशाली) : सब्जी में अपना अलग महत्व रखने वाली फूलगोभी की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है. जिले में फूलगोभी की खेती से किसान अच्छी कमाई कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं. यह खेती भगवानपुर प्रखंड के वफापुर, किरतपुर, सतपुरा, वालिसपुर, गोढ़िया चमन के आसपास के गांवों में खूब कीजा रही है.
इसके अलावा गोरौल प्रखंड के कटरमाला, बेलवर, चकव्यास सहित आसपास के अन्य प्रखंडों में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है.
किसान रामजन्म भक्त, हरेंद्र भक्त, राम जीवन सिंह, सुरेश राय, रामजी मिश्रा सहित कई किसानों ने बताया कि फूलगोभी की अगेती किस्म पूसा दीपाली, अर्ली कुवारी, अर्ली पटना, पंत गोभी-2, पंत गोभी-3, सलेक्शन 327 एवं सलेक्शन 328 के अलावा मध्यम प्रकार पंत, हिसार 114, एस 1 नरेंद्र गोभी 1 हाइब्रिड 2, पूसा अगहनी एवं पछेती किस्म में स्नोबल 16, पूसा स्नोबल 1, पूसा स्नोबल 2, पूसा के 1, विश्व भारती, बनारसी मार्गी प्रमुख हैं. किसानों ने बताया कि स्वस्थ पौधे तैयार करने के लिए भूमि तैयार होने पर 0.75 मीटर चौड़ी, पांच से 10 मीटर लंबी, 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां
बनानी चाहिए. दो क्यारियों के बीच में 50 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी नाली खाद-पानी देने तथा निकौनी करने के लिए रखनी चाहिए. पौधे डालने से पहले पांच किलो ग्राम गोबर की खाद प्रति क्यारी मिला कर देनी चाहिए तथा 10 ग्राम म्यूरेट और पोटाश व पांच किलो यूरिया प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से क्यारियों में मिला कर देना चाहिए.
पौधों को 2.5 से 5 सेंटीमीटर दूरी की कतारों में डालना चाहिए. क्यारियों में बीज बोआई के बाद गोबर की खाद से बीज को ढंक देना चाहिए. इसके एक से दो दिन बाद नालियों में पानी देना चाहिए या हजारे से पानी क्यारियों में देना चाहिए.
ऐसे करें फूलगोभी की खेती : एक हेक्टेयर खेत में 450 ग्राम से 500 ग्राम बीज की बोआई करनी पड़ती है. पौधा डालने के 30 दिनों बाद रोपाई करनी चाहिए. मध्यम फसल में अगस्त के मध्य में पौधा डालना चाहिए. पौधा तैयार होने के 30 दिन बाद 50 सेंटी मीटर पंक्ति-से-पंक्ति और 50 सेंटीमीटर पौधे-से-पौधे दूरी पर रोपाई करनी चाहिए. फूल गोभी की अधिक उपज लेने के लिए भूमि में पर्याप्त मात्रा में खाद डालना आवश्यक है.
फूलगोभी की फसल को अपेक्षाकृत अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. इसके लिए एक हेक्टेयर भूमि में 35-40 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद एवं एक क्विंटल नीम की खल्ली डालते हैं. रोपाई के 15 दिनों बाद वर्मी वाश का प्रयोग किया जाता है. रासायनिक खाद का प्रयोग करना हो तो 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग करना चाहिए. समय-समय पर सिंचाई भी करनी पड़ती है. फूलगोभी की फसल में कीटों का प्रकोप काफी होता है. इसकी रोकथाम के लिए खेत में नीम का खाद का प्रयोग करना चाहिए. समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है.
बाजारों में फूलगोभी की मांग भी अधिक रहती है. इसलिए किसानों को इसकी उपज का मूल्य भी सही से प्राप्त हो जाता है. फूलगोभी की कटाई तब करनी चाहिए, जब उसका फूल पूर्ण रूप से विकसित हो जाये. रोपाई के बाद यह फसल 65 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी उपज 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. किसानों को कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली इससे बढ़िया शायद ही कोई सब्जी की फसल हो.

Next Article

Exit mobile version