हाजीपुर : उत्तर बिहार की लाइफ लाइन कहे जाने वाले महात्मा गांधी सेतु की सड़क जर्जर हो चुकी है. सेतु के पूर्वी और पश्चिमी लेन में एक नहीं बल्कि दर्जनों स्थानों पर सड़क इस प्रकार टूट गयी है कि सेतु की सड़क में गड्ढे हैं अथवा गड्ढे में सड़क, यह कहना मुश्किल है. वैसे तो रख-रखाव के कारण सेतु की सड़क पहले से ही टूटी हुई थी, लेकिन बारिश के पानी के जमाव के कारण सड़क और भी जर्जर हो गयी है.
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गांधी सेतु की जर्जर सड़क दे रही हादसों को न्योता
हाजीपुर : उत्तर बिहार की लाइफ लाइन कहे जाने वाले महात्मा गांधी सेतु की सड़क जर्जर हो चुकी है. सेतु के पूर्वी और पश्चिमी लेन में एक नहीं बल्कि दर्जनों स्थानों पर सड़क इस प्रकार टूट गयी है कि सेतु की सड़क में गड्ढे हैं अथवा गड्ढे में सड़क, यह कहना मुश्किल है. वैसे तो […]
अनेक स्थानों पर दो से तीन फुट तक गड्ढे बन गये है. स्थिति ऐसी हो गयी है
कि थोड़ी सी असावधानी होने पर दुर्घटना होना तय है. सबसे ज्यादा परेशानी छोटे चक्के वाले वाहन और बाइक चालकों को हो रही है. बारिश के दौरान जब इन गड्ढों में पानी भर जाता है ,तब चालक को इसका आभास नहीं होता. नतीजतन बाइक चालक दुर्घटना के शिकार हो जा रहे हैं. पथ निर्माण विभाग द्वारा पहले से टूटी सड़क की समय-समय पर मरम्मत करायी जाती थी. अब सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर को काटा जा रहा है. सेतु के जीर्णोद्धार के लिए हाजीपुर साइड से पाया संख्या तीन से 12 के बीच ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने का काम चल रहा है. वहीं ऊपरी स्ट्रक्चर को काटे जाने को लेकर विभागीय उदासीनता बरती जा रही है, जिसके कारण दिन-प्रतिदिन सेतु की सड़क जर्जर होती जा रही है.
बोरार्ड के शेष भाग बन गये हैं खतरनाक : गांधी सेतु पर तीन साल पहले बाइक चालकों को सेतु से सुरक्षित आवाजाही कराने के उद्देश्य से दोनों लेन पर बोरार्ड लगाये गये थे. परिवहन विभाग द्वारा बड़े वाहनों की ठोकर और ओवरटेकिंग के दौरान बाइक दुर्घटनाओं पर रोकथाम के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बोरार्ड लगाये गये. फुटपाथ से एक मीटर सड़क की घेराबंदी बोरार्ड से की गयी थी. लाल व पीले रंग के चमकीले बोरार्ड हर तीन मीटर पर गाड़े गये थे. दो पायों की दूरी 60 मीटर के अंदर 20 बोरार्ड यानी प्रत्येक तीन मीटर पर एक बोरार्ड लगाये गये थे. पथ निर्माण विभाग की यह महत्वाकांक्षी योजना थी और उद्देश्य था कि बोरार्ड के घेरे के अंदर से बाइक चालक सुरक्षित सेतु पार करेंगे और सेतु पर हो रही दुर्घटनाओं में कमी आयेगी. लेकिन महज एक-दो माह के अंदर ही बोरार्ड टूट कर बिखर गये. अब बोरार्ड का शेष भाग और इसे लगाने के लिए खोदे गये गड्ढों में लगे नट-वोल्ट नुकीले हो गए हैं और मुंह बाएं खड़े हैं. असावधानी से जब किसी बाइक का चक्का इसके ऊपर से गुजरता है, तो टायर पंक्चर होने का डर बना रहता है. इससे बचने के लिए अचानक बाइक को मोड़ने की स्थिति में पीछे से आ रहे बड़े वाहनों की टक्कर होने की आशंका रहती है.
दर्जनों स्थानों पर बन गये हैं गड्ढे
गांधी सेतु के दोनों लेन पर कई स्थानों पर दो से तीन फुट गड्ढे बन गये हैं. पश्चिमी लेन पर पाया संख्या 33- 34 के समीप हालत इतनी खराब है कि यहां बाइक अथवा टेंपो चालकों को जान जोखिम में डालकर आगे निकलना पड़ता है. इसी लेन पर पाया संख्या 29 के समीप दो बड़े-बड़े गड्ढे हैं. पाया संख्या 25 और 12 के समीप सड़क पर नालानुमा गड्ढा बना हुआ है. इसी प्रकार पूर्वी लेन पर पाया संख्या एक, 16, 39 और 44 के समीप गड्ढे बन गये है. कुछ गड्ढे इतने खतरनाक हो गये हैं कि तेज गति से आने वाले वाहन के चक्के इस गड्ढे में जैसे ही पड़ते हैं, तो बड़े वाहनों पर बैठे लोगों को अचानक झटका लगता है, जबकि छोटे वाहन के चालक या तो दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है या गिरते-गिरते बचते हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
सेतु की सड़क कई स्थानों पर जर्जर हो चुकी है. इस संबंध में पथ निर्माण विभाग के एक्जिक्यूटिव इंजीनियर को दूरभाष पर सूचना दी गयी है. सड़क दुर्घटना की आशंका को देखते हुए विभागीय पत्राचार भी किया गया है. सेतु पर तैनात पुलिस के जवानों द्वारा जर्जर सड़क के समीप से गुजरने वाले वाहन चालकों से धीमी गति में वाहन चलाने और सावधानी बरतने का आग्रह किया जाता है.
शाहनवाज खान, थानाध्यक्ष, गंगाब्रिज
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