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करवा चौथ कल, कृतिका नक्षत्र में होगा अर्घ

हाजीपुर : करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है. यह त्योहार विवाहित जोड़ी के बीच प्यार का प्रतीक है. करवा चौथ वास्तव में औरतों की मजबूर इच्छाशक्ति का प्रतीक है, जो अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन अखंड निर्जला व्रत करती हैं. ज्योर्तिविद पं राजेश्वरी मिश्रा […]

हाजीपुर : करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है. यह त्योहार विवाहित जोड़ी के बीच प्यार का प्रतीक है. करवा चौथ वास्तव में औरतों की मजबूर इच्छाशक्ति का प्रतीक है, जो अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन अखंड निर्जला व्रत करती हैं. ज्योर्तिविद पं राजेश्वरी मिश्रा की मानें तो इस बार रविवार की सायं 7.25 बजे से चौथ हो रही है. रात में चौथ होने का लाभ रविवार को है. इसलिए व्रत रविवार को रखा जायेगा. सायं 7.51 बजे चंद्रोदय होगा.

चंद्रोदय के साथ ही अति दुर्लभ संयोग कृतिका नक्षत्र भी होगा, जिसमें चंद्र का दर्शनकर पति का चेहरा चलनी से देखने के बाद पति के हाथों जल पीकर व्रती अर्घ देकर अपना व्रत पूरा करेंगी.

द्रौपदी को कृष्ण ने बताया था करवा चौथ का व्रत : एक बार पांडू पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि नामक पर्वत पर गये. इधर, द्रौपदी बहुत परेशान थीं. उनकी कोई खबर न मिलने पर उन्होंने कृष्ण भगवान का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की. कृष्ण भगवान ने कहा- बहना, इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने शंकर जी से किया था.
तब शंकर जी ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत बतलाया, जिसमें पूजन कर चंद्रमा को अर्घ देकर फिर भोजन ग्रहण किया जाता है. सोने, चांदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है, जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है.

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