भूमि विवाद में गोली मार हत्या
आठ लोगों पर दर्ज करायी गयी प्राथमिकी महुआ (वैशाली) : महुआ थाना क्षेत्र की ताजपुर बुजुर्ग पंचायत में बुधवार की सुबह भूमि विवाद में हुई गोलीबारी में अधेड़ की मौत हो गयी. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर भेज दिया. इस संबंध में एक प्राथमिकी थाने […]
आठ लोगों पर दर्ज करायी गयी प्राथमिकी
महुआ (वैशाली) : महुआ थाना क्षेत्र की ताजपुर बुजुर्ग पंचायत में बुधवार की सुबह भूमि विवाद में हुई गोलीबारी में अधेड़ की मौत हो गयी. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए हाजीपुर भेज दिया. इस संबंध में एक प्राथमिकी थाने में दर्ज करायी गयी है.
जानकारी के अनुसार, उक्त पंचायत के माधोपुर गांव निवासी रामजतन राय तथा जगदीश राय के बीच पिछले मंगलवार की शाम सेम की सब्जी को लेकर विवाद हो गया था, जिसे ग्रामीणों के सहयोग से शांत करा दिया गया था. आपसी मतभेद शांत होने के बाद एक पक्ष के 57 वर्षीय जगदीश राय खाना खाने केबाद घर के बगल में शंभु सिंह के दालान पर सोये हुए थे, तभी दूसरे पक्ष ने सोयावस्था में ही बुधवार की सुबह गोली मार हत्या कर दी.
मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया. घटना की सूचना थाने को मिलते ही प्रभारी थानाध्यक्ष सह सर्किल इंस्पेक्टर शशिभूषण प्रसाद पुलिस बल कर साथ घटनास्थल पर पहुंच घटना की जानकारी ली. इस दौरान उन्हें ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा.
बाद में पहुंचे एएसपी अंनत कुमार राय ने आक्रोशित लोगों को समझा कर शांत कराया. इस संबंध में एएसपी अनंत कुमार राय ने बताया कि बुधवार की सुबह जगदीश राय की गोली मार हत्या कर दी गयी है. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. परिजनों के बयान पर रामजनतन राय समेत आठ लोगों पर मामला दर्ज किया गया है. जल्द ही सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा.
सोनपुर मेला
देखा है आपने 50 लाख रुपये का हाथी और पांच लाख रुपये की गाय !
सोनपुर मेले से रविशंकर उपाध्याय
एक जमाने में जंगी हाथियों के सबसे बड़े केंद्र सोनपुर मेले में 50 लाख रुपये में एक हाथी बिका था और पांच लाख रुपये में एक गाय भी बिकी जो 35 लीटर दूध देती थी. सोनपुर मेले का इतिहास उतना ही भव्य है जितनी इसकी बारे में सुनी जाने वाली कहानियां.
कहानियां जिसमें कही जाती थी कि बिहार का सोनपुर मेला ऐसी जगह है जहां एक वक्त में सबकुछ बिकता था! हाथियां जो अब केवल तस्वीरों में बचे हुए हैं. उसकी खरीदी यहां बड़े पैमाने पर होती थी. ऐतिहासिक तथ्य है कि मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त, मुगल सम्राट अकबर और बाबू कुंवर सिंह ने भी हाथी खरीदे थे. 1803 में गवर्नर रहे रॉबर्ड क्लाइव ने तो सोनपुर में घोड़े के लिए बड़ा अस्तबल भी बनवाया था.
2004 में 354 हाथियों से सजा था मेला
2004 में 345 हाथियों का बाजार इस मेला की शान हुआ करता था. मेले की बंदाेबस्ती लेनेवाले स्थानीय नवीन कुमार सिंह कहते हैं कि उसी मेले में 50 लाख रुपये में एक हाथी बिका था. यह एक रिकॉर्ड था जो अभी भी बरकरार है. अब तो हाथी का आना भी बंद हो गया लेकिन यह अाधिकारिक तौर पर सबसे ज्यादा महंगे जानवरों की बिक्री के रूप में निबंधित है.
2015 में 17 और 2016 में 13 हाथी यहां बिक्री के लिए आये थे. हालांकि वह रिकॉर्ड अबतक नहीं टूट सका. 2010 में ही मेले में 5 लाख रुपये की गाय बिकी थी जो भी एक रिकॉर्ड है. उस वक्त यहां देश के विभिन्न हिस्सों से गाय आती थी. हरियाणा से आयी एक जर्सी गाय इस मेले की शान थी जो पांच लाख रुपये में बिकी थी. पांच लाख रुपये वाली वह गाय 35 किलो दूध के लिए थी.
कानून और सामाजिक द्वंद्व में प्रभावित हो गया गाय का बाजार
अब कानून और सामाजिक वैमनस्यता की मार के कारण गायों का बाजार सिमट कर रह गया है. इनकी संख्या इतनी घटी है कि लोगों को बाजार देखकर हैरत होती है. स्थानीय कौशल किशोर सिंह बताते हैं कि अब संकट इस मेले पर जूझ रहा है क्योंकि पशुओं के खरीदार घटे हैं.
सोनपुर मेले से जुड़ी एक पुरानी कहानी को उद्धृत करते हुए वे कहते हैं कि अतीत में अक्सर जब इस मेले के ऊपर किसी तरह का संकट आया है तब उस दौर के राजे-रजवाड़ों ने इसे सहारा देकर इसकी अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाये रखने में योगदान दिया है.
एक बार मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने इस मेले से 500 घोड़े खरीदे थेे. इसी तरह मुगल बादशाह औरंगजेब ने एक बार मेला पर छाये संकट को दूर करने के लिए यहां से दुर्लभ नस्ल वाले सफेद हाथी खरीद कर उन्हें शाही सेना में शामिल किया था. यह अजीब विडंबना है कि अब इस मेले के मूल को सरकार तहस-नहस होने से नहीं बचा रही है.