खग्रास चंद्रग्रहण आज, बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट

चंद्रग्रहण के दौरान मंदिरों में प्रवेश होगा वर्जित चंद्रग्रहण का अशुभ प्रभाव, अनिष्ट फल वाले न देखें चांद हाजीपुर : साल का पहला खग्रास चंद्रग्रहण 31 जनवरी बुधवार को लगेगा. यह सभी राशि वालों को प्रभावित करने वाला साबित होगा. ग्रहण काल में मंदिरों के पट शाम पांच से नौ बजे तक बंद हो जायेंगे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2018 1:33 AM

चंद्रग्रहण के दौरान मंदिरों में प्रवेश होगा वर्जित

चंद्रग्रहण का अशुभ प्रभाव, अनिष्ट फल वाले न देखें चांद
हाजीपुर : साल का पहला खग्रास चंद्रग्रहण 31 जनवरी बुधवार को लगेगा. यह सभी राशि वालों को प्रभावित करने वाला साबित होगा. ग्रहण काल में मंदिरों के पट शाम पांच से नौ बजे तक बंद हो जायेंगे. पूजा-पाठ पर प्रतिबंध लग जायेगा ग्रहण से छह घंटे पहले ही सूतक लग जायेगा. साधकों के लिए यह पूर्ण चंद्रग्रहण काफी अहम माना जा रहा है. राधेश्याम द्विवेदी के अनुसार, दोपहर से ही ग्रहण का सूतक आरंभ हो जायेगा. ग्रहण कर्क राशि एवं पुष्य-आश्लेषा नक्षत्र में हो रहा है, इसलिए कर्क राशि एवं पुष्य या आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेनेवाले लोगों के लिए यह ग्रहण परेशानी भरा साबित होगा.
ग्रहण का छह घंटे पहले सूतक : पंडित अमित शास्त्री ने कहा कि धर्मशास्त्रों में कहा गया है ‘सूर्य ग्रहेतु नास्नियात पूर्वे याम् चतुष्यम. चंद्र ग्रहेतु यामश्रिन बाल, वृद्धा, तुर्रैविना.’ अर्थात चंद्रग्रहण में ग्रहण से छह घंटे और सूर्य ग्रहण में छह घंटे पहले ग्रहण का सूतक होता है. इसमें बालक, वृद्ध और रोगियों को छोड़ अन्य के लिए भोजन निषिद्ध है. तद्नुसार सुबह 12.35 बजे सूतक लगेगा.
अनिष्ट फल वाले न देखें चांद : चंद्रग्रहण का फल जिन लोगों के लिए अनिष्टकारी हो उन्हें ग्रहण नहीं देखना चाहिए.
ग्रहण जनित दुष्ट फल निवारण के लिए यथाशक्ति सोने-चांदी का ग्रह बिंब बनवाकर दान करना चाहिए. ग्रहण में गंगा, काशी-प्रयाग या पुष्कर में स्नान पुण्यदायी होता है.
ग्रहण काल में क्या करें
आचार्य राधेश्याम द्विवेदी ने बताया कि ग्रहण काल में दूध, दही, पका हुआ अन्न और जल में तुलसी पत्र डालकर रखने का शास्त्रोक्त विधान है. इस ग्रहण काल में रोग मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र, रोजगार पाने को गायत्री मंत्र, धन प्राप्ति को लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप एवं श्री यंत्र की पूजा कर श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त आदि का यथाशक्ति जाप करना चाहिए. राहु एवं शनि के कष्टों के निवारण को शनि मंत्र एवं राजा दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें. मानसिक दोष एवं व्यथा के निवारणार्थ चंद्र दोष की शांति चंद्र के मंत्रों से होगी. चंद्रग्रहण माघ की पूर्णिमा में होने के कारण इसमें ग्रहण से पहले स्नान, ग्रहण के मध्य में हवन, पूजा-पाठ, देवार्चन, ग्रहण के अंत में दान का विशेष फल मिलेगा. ग्रहण के समय रात्रि में पुण्यार्जन, दान आदि का विशेष महत्व कहा गया है. ग्रहण काल में रुद्राक्ष धारण करने का विशेष महत्व है. वहीं आचार्या संत तिवारी कहते है कि माघ पूर्णिमा के दिन चन्द्रग्रहण का लगना एक दिव्य संयोग माना जा रहा है. इस दिन स्नान और दान-पुण्य का लाभ सामान्य दिनों से कई गुणा अधिक प्राप्त होगा. वैसे शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के मौके पर दान करने के लिए सबसे उत्तम समय वह माना गया है जब ग्रहण का मोक्ष काल समाप्त हो जाता है.

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