नाले का कचरा सड़क पर
हाजीपुर : शहर की सड़कें नालों के कचरे से नरक बन गयी हैं. गली-मुहल्ले से लेकर बाजार की सड़कों पर कचरा फैला हुआ है. इससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. भीड़-भाड़ वाले इलाके से पैदल गुजरना भी मुश्किल हो गया है. इन सड़कों पर कितना भी संभल कर चलिये, लेकिन पांव कीचड़ […]
हाजीपुर : शहर की सड़कें नालों के कचरे से नरक बन गयी हैं. गली-मुहल्ले से लेकर बाजार की सड़कों पर कचरा फैला हुआ है. इससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. भीड़-भाड़ वाले इलाके से पैदल गुजरना भी मुश्किल हो गया है.
इन सड़कों पर कितना भी संभल कर चलिये, लेकिन पांव कीचड़ में पड़ना मानो तय है. बारिश के बाद हुई तेज धूप के कारण अब कीचड़ सुख गया है और धूल उड़ने लगी है. इससे लोगों को नाक-मुंह पर कपड़ा रख कर चलना पड़ रहा है.
बारिश का मौसम आने वाला है. ऐसे में जलजमाव की समस्या को देखते हुए शहर में नाले की उड़ाही का काम चल रहा है. बेशक, यह जरूरी कार्य है. बरसात के पहले नगर पर्षद क्षेत्र के सभी 39 वार्डो के छोटे-बड़े नालों की मुकम्मल सफाई होनी चाहिए. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नाले की गंदगी सड़क पर रख दी जाये. सफाई के नाम पर सड़क को नरक बना देना उचित नहीं है. यह आवश्यक है कि जिस तेजी से नाले की सफाई हो, क चड़े का उठाव भी उसी तत्परता से हो.
कचड़े के उठाव व निस्सारण में लापरवाही के पीछे शायद पर्षद का पुराना अनुभव कम रहा है. पुराना अनुभव बताता है कि नाले से कचरे को निकाल कर सड़क पर ढेर कर दो. धीरे-धीरे पसर कर ये दूर तक फैल जायेंगे. उस रास्ते से होकर पैदल यात्री गुजरेंगे, तो ये गंदगी उनके घरों तक पहुंच जायेंगी.
उधर, चंद दिनों में सड़क भी साफ, इधर ढ़ुलाई का खर्चा भी हाफ. लेकिन अब पुराने तरीके से काम नहीं चलने वाला. नागरिक अब पहले के मुकाबले ज्यादा जागरूक हुए हैं. नगर की बड़ी समस्या हो या गली-मुहल्लों के छोटे-छोटे मसले हों, इन पर उनका मुखर होना यह साबित करता है कि लोग नारकीय स्थिति झेलने को तैयार नहीं हैं.