गिट्टी की कमी के चलते बढ़ रही हैं पटरियों के टेढ़ा होने की घटनाएं

हाजीपुर : दिघवारा. सोनपुर छपरा रेलखंड के मध्य इन दिनों रेलवे ट्रैक के टेढ़े होने की घटनाओं में वृद्धि हो गयी है, जिससे रेलयात्रियों की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लगने लगे हैं. पिछले चार दिनों के अंदर इस रेलखंड पर बड़ागोपाल व दिघवारा स्टेशनों के बीच दो बार बकलिंग की घटनाओं ने यह साबित कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2019 7:28 AM
हाजीपुर : दिघवारा. सोनपुर छपरा रेलखंड के मध्य इन दिनों रेलवे ट्रैक के टेढ़े होने की घटनाओं में वृद्धि हो गयी है, जिससे रेलयात्रियों की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लगने लगे हैं. पिछले चार दिनों के अंदर इस रेलखंड पर बड़ागोपाल व दिघवारा स्टेशनों के बीच दो बार बकलिंग की घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि पटरियों के रखरखाव में कोताही बरती जा रही है और पटरियों पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
कई ऐसे कारण हैं जिनके चलते पटरियां टेढ़ी होने की घटना होती है. गर्मी में ऐसी घटनाओं में वृद्धि होती है मगर इन दिनों पटरियों के टेढ़े होने की घटनाओं का कारण कुछ अलग है.
गिट्टी की कमी के कारण होती है पटरी के टेढ़ा होने की घटना : रेल विभाग के पटरी रखरखाव से जुड़े इंजीनियरों की मानें तो इन दिनों पटरियों के टेढ़ा होने की घटना का मुख्य कारण पटरियों के पास रखे गिट्टी की कमी है.
ऐसा देखा गया है कि रेलवे ट्रैक के पास जो गिट्टी रखा जाता है उसमें मात्रात्मक कमी होने के कारण ट्रेनों की रफ्तार के चलते पटरियां आसानी से टेढ़ी हो जाती है जो दुर्घटनाओं को निमंत्रण देती है.
गिट्टी की मात्रा घटने का मुख्य कारण यह है कि रेलवे के विशेष वाहन से जब पटरियों के बीच पुरानी गिट्टियां हटायी जाती है तब उस अनुपात में वहां नयी गिट्टियां नहीं डाली जाती है और यही कमी दुर्घटनाओं को निमंत्रण देती है.
यह बात भी बिल्कुल साफ है कि जिस मात्रा में पुरानी गिट्टियों को हटाया जाता है उस अनुपात में नयी गिट्टियां नहीं डाली जाती है. इसका मुख्य कारण यह है कि मांग के अनुसार गिट्टियों की आपूर्ति नहीं होती है. हटाये गये स्थानों पर धीरे-धीरे गिट्टियों की कमी को पूरा किया जाता है.
इसी बीच ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है. अमूमन जिस गिट्टी को रेलवे ट्रैक के पास लगाया जाता है तो रेलवे लाइन पर ट्रेनों के निरंतर गुजरने से दबाव के कारण ये गिट्टियां टूटती है और टूटने से इसके साइज में कमी आती है जिसे रेलकर्मियों द्वारा हटा दिया जाता है.
सामान्यतः एक बार उपयोग में आयी नई गिट्टी को 10 वर्ष में हटा दिया जाता है और जिस समय नई गिट्टी का उपयोग होता है उसका औसतन साइज 65 एमएम का होता है.टूटी गिट्टियां को इसलिए हटाया जाता है ताकि पटरियों के अंदर पानी का जमाव न हो क्योंकि पटरियों के अंदर पानी का जमाव सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक होता है.
7 व 10 मार्च को बड़ागोपाल के समीप टेढ़ी हुई थी पटरी : बीते सात मार्च को बड़ागोपाल स्टेशन के समीप 25 नबंर गेट के समीप पटरियां टेढ़ी मिली थी जिसे कुछ ग्रामीणों ने देखा और बाद में इसकी सूचना स्टेशन अधीक्षक को दी गयी, जिसके बाद आनन-फानन में डाउन वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस को रोका गया.
जिससे एक बड़ी दुर्घटना को समय रहते टाला गया. इस घटना के तीन दिनों बाद 10 मार्च को भी एक बार फिर बड़ागोपाल स्टेशन के पूर्वी आउटर सिग्नल के समीप 12554 डाउन वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस को चालक चंद्रिका राय ने अपनी सूझबूझ से दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा लिया और एक बड़ी रेल दुर्घटना टल गयी. इस जगह पर 20 मीटर लंबाई तक पटरी टेढ़ी थी. इस पर से रफ्तार वाली वैशाली सुपरफास्ट गुजरती तो दुर्घटना होने की आशंका थी.
जिस अनुपात में हटायी जाती हैं टूटी गिट्टियां, उस अनुपात में नहीं डाली जाती हैं नयी गिट्टियां
10 वर्षों में औसतन बदल दी जाती हैं नयी गिट्टियां, एक गिट्टी का साइज होना चाहिए 65 एमएम

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