सदर अस्पताल : करोड़ों खर्च, पर एक स्ट्रेचर भी नहीं

हाजीपुर : प्रत्येक वर्ष रोगी कल्याण के नाम पर करोड़ों रुपये व्यय करने वाली जिला स्वास्थ्य समिति सदर अस्पताल में एक अदद स्ट्रेचर की व्यवस्था करने में विफल है, फलत: मरीजों के परिजन गंभीर रूप से घायल या बीमार मरीजों को अपने कं धे या टांग कर लाने को विवश हैं. सदर अस्पताल में प्रतिदिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:46 PM

हाजीपुर : प्रत्येक वर्ष रोगी कल्याण के नाम पर करोड़ों रुपये व्यय करने वाली जिला स्वास्थ्य समिति सदर अस्पताल में एक अदद स्ट्रेचर की व्यवस्था करने में विफल है, फलत: मरीजों के परिजन गंभीर रूप से घायल या बीमार मरीजों को अपने कं धे या टांग कर लाने को विवश हैं.

सदर अस्पताल में प्रतिदिन दर्जनों मरीज इमरजेंसी में भरती होते हैं, जिन्हें गाड़ी से उतार कर बेड पर ले जाने एवं चिकित्सकों द्वारा जांच हेतु निर्देशित किये जाने पर उन्हें टांग कर यहां से वहां उनके परिजन ले जाते हैं और ऐसी स्थिति में सबसे अधिक दुर्दशा उन मरीजों की होती है, जिनके साथ एक परिजन हो या कोई भी साथ न हो.

सामान्यतया जब कोई मरीज इमरजेंसी वार्ड में आता है, तब उसे देखने वाला तब तक कोई नहीं होता जब तक वह स्वयं या उसका कोई परिजन उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करता और जाकर चिकित्सक को नहीं बुलाता.

जिला एवं बगल के सोनपुर इलाके में होनेवाली सड़क दुर्घटनाओं के बाद प्रत्येक दिन दर्जनाधिक मरीज आपात कक्ष में दाखिल होते हैं, लेकिन आपात सेवा की दयनीय स्थिति से बाध्य होकर या तो पीएमसीएच रेफर करा लेते हैं या दूसरे चिकित्सक के यहां निजी क्लिनिक की सेवा लेते हैं. सदर अस्पताल की सेहत सुधारने के लिए आवश्यक है कि आपात कक्ष को दुरुस्त किया जाए साथ ही मातृत्व केंद्र की व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जाए.

मातृत्व केंद्र में बेड के अभाव में अक्सर मरीजों को ऑपरेशन के बाद जमीन पर सोना पड़ता है, जो बच्चा-जच्चा के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति इस समस्या से बेखबर सरकार द्वारा प्राप्त आवंटन को जैसे- तैसे खर्च करने में व्यस्त है. आशा की जानी चाहिए कि जिला स्वास्थ्य समिति की तंद्रा भंग होगी और बेहतर स्वास्थ्य के रास्ते के रोड़ा हटाने की दिशा में कारगर कदम उठायेगी.

आपातकालीन कक्ष में दो स्ट्रेचर एवं मरीजों को लाने-ले जानेवाले अनुसेवी की व्यवस्था 24 घंटे की जाए तथा आपात कक्ष को मरीजों के रहने योग्य बनाया जाए. विभिन्न वाडरे में भरती मरीजों के बेड की नियमित सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए. स्ट्रेचर के अभाव में कई बार गंभीर रूप से बीमारों को चिकित्सक बगैर इलाज के ही पीएमसीएच रेफर कर देते हैं.

बंध्याकरण, मातृत्व एवं अन्य वाडरे में मरीजों को जानवरों की तरह लाना- ले जाना पड़ता है, जो सदर अस्पताल के लिए कलंक है. बंध्याकरण, मातृत्व, आपात कक्ष, जांच घर सहित सभी आवश्यक स्थानों को चिह्न्ति कर स्ट्रेचर एवं स्ट्रेचर चालक की व्यवस्था जिला स्वास्थ्य समिति यथाशीध्र करे.

जांचघर, दवा वितरण केंद्र एवं विभिन्न कक्षों में धड़ल्ले से घूम रहे दलालों को चिह्न्ति कर स्वास्थ्य प्रशासन कानूनी कार्रवाई करे, ताकि सदर अस्पताल में इलाज हेतु आने वाले भोले- भाले नागरिकों को कोई गुमराह नहीं कर सकें. मातृत्व कक्ष और आपात कक्ष में बेडों की संख्या बढ़ाते हुए उसकी नियमित सफाई करायी जाए.

सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक एवं गैर चिकित्सीय कर्मचारियों को परिचय पत्र निर्गत करते हुए उसे कार्यकाल में गले में डाले रहने का निर्देश दिया जाए ताकि परिसर में घूम रहे दलालों को चिह्न्ति कर कार्रवाई की जा सके.

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