एसडीओ ने डीएम व डीइओ को लिखा पत्र
महनार : ‘कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियों को पढ़ने के लिए रोजाना तय करनी पड़ती है लगभग दो किलोमीटर की दूरी’ शीर्षक से प्रभात खबर के बीते 30 जुलाई के अंक में प्रकाशित खबर का असर देखने को मिला है. इस संबंध में एसडीओ मनोज प्रियदर्शी द्वारा जिलाधिकारी तथा जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर बच्चियों […]
महनार : ‘कस्तूरबा विद्यालय की बच्चियों को पढ़ने के लिए रोजाना तय करनी पड़ती है लगभग दो किलोमीटर की दूरी’ शीर्षक से प्रभात खबर के बीते 30 जुलाई के अंक में प्रकाशित खबर का असर देखने को मिला है. इस संबंध में एसडीओ मनोज प्रियदर्शी द्वारा जिलाधिकारी तथा जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर बच्चियों को उक्त कठिनाई से मुक्ति के लिए प्रखंड परिसर स्थित प्राथमिक विद्यालय को उत्क्रमित मध्य विद्यालय का दर्जा देने की बात कही गयी है.
मालूम हो कि महनार प्रखंड परिसर में अवस्थित कस्तूरबा गांधी बालिका अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय में छात्राओं की 100 सीटें हैं, जिसमें फिलहाल 83 छात्राओं का ही नामांकन है.
इस विद्यालय की छात्राओं को सोने के लिए तीन और पठन-पाठन के लिए भी मात्र तीन ही कमरे हैं. यहां पर छह से आठ वर्ग तक की पढ़ाई होती है. इन छत्राओं के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन सबों को प्रतिदिन पढ़ने के लिए कस्तूरबा विद्यालय से लगभग दो किलोमीटर की दूरी तय कर खरजम्मा मध्य विद्यालय में पढ़ने जाना पड़ता है.
इन दिनों कड़ी धूप व गर्मी में बालिकाओं को खरजम्मा विद्यालय जाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पर रहा है. इस विद्यालय के अंदर तीन शिक्षिका, एक वार्डेन व दो रसोइयां के अतिरिक्त एक पुरुष लेखपाल और एक सुरक्षा प्रहरी कार्यरत है.
विद्यालय में चहारदीवारी के साथ-साथ मुख्य फाटक भी लगे हैं, लेकिन उस फाटक को खोलने व बंद करने के लिए आदेशपाल की नियुक्ति नहीं होने से स्कूल की महिला वार्डेन को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है, तो दूसरी तरफ विद्यालय में पुरुषों का आना-जाना वर्जित रहने से सुरक्षा के लिए कार्यरत रात्रि प्रहरी के रहने तक की जगह नहीं है, खाली हाथ और खुले आकाश के नीचे सर्दी हो या गर्मी वह ड्यूटी करने पर विवश हैं.