कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे मनुष्य जीवन में धारण करे

भोरे : स्थानीय प्रखंड के कुसहां में भागवत कथा के छठे दिन प्रवचन करते अखिल भारतीय विद्वत परिषद् द्वारा सम्मानित आचार्य पं योगेंद्र तिवारी ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन में धारण करें. निरंतर हरि हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2019 6:47 AM

भोरे : स्थानीय प्रखंड के कुसहां में भागवत कथा के छठे दिन प्रवचन करते अखिल भारतीय विद्वत परिषद् द्वारा सम्मानित आचार्य पं योगेंद्र तिवारी ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन में धारण करें.

निरंतर हरि हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें. उन्होंने कहा कि भागवत कथा से मन का शुद्धीकरण होता है. इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है. इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण, निरंतर हरि स्मरण व भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है.
आचार्य ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक आध्यात्मिक विकास होता है. जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है. सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है.
उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें. प्रवचन सुनाने से पहले अतिथियों ने आचार्य को सम्मानित किया. कार्यक्रम के आयोजक कमला पांडेय ने बताया कि कथा का अंतिम दिन शुक्रवार होगा. मौके पर राजेंद्र पांडेय, नरसिंह मिश्र, मनन तिवारी, राजगीर सिंह, शैलेंद्र मिश्रा, अरुण दुबे, विनय पांडेय, मनोज पांडेय, राजेश पांडेय, डॉ धर्मेंद्र सिंह सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे.

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