टैक्स वसूली में आगे, पर प्यास बुझाने में विफल है नगर पर्षद
हाजीपुर : शहर में सरकारी तौर स्वच्छ पेयजल की सुविधा पर्याप्त नहीं होने से पानी का कारोबार बढ़ता जा रहा है. घर-घर में मिनरल वाटर पीने की लत लग गयी है. महंगे फि ल्टर एवं एक्वा फ्रेश मशीन लगाने की विवशता बढ़ती जा रही है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की उदासीनता के कारण यहां शुद्ध […]
हाजीपुर : शहर में सरकारी तौर स्वच्छ पेयजल की सुविधा पर्याप्त नहीं होने से पानी का कारोबार बढ़ता जा रहा है. घर-घर में मिनरल वाटर पीने की लत लग गयी है. महंगे फि ल्टर एवं एक्वा फ्रेश मशीन लगाने की विवशता बढ़ती जा रही है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की उदासीनता के कारण यहां शुद्ध पेयजल की किल्लत हो गयी है.
नगर के अधिकतर मुहल्लों में विभागीय तौर पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं कराया गया है. कई जगहों पर पाइप लाइन ठप पड़ी है. नल बंद है. पाइप टूटे हैं. महीने से जजर्र पाइप के कारण जलापूर्ति नहीं हो रही है. सरकारी उपेक्षा से संपन्न लोग पेयजल की व्यवस्था कर चुके हैं, जबकि गरीब व कमजोर वर्ग के लोग भी हर रोज मिनरल वाटर खरीद कर उपयोग करते हैं.
पानी पर सालाना आय-व्यय
विगत कुछ वर्षो में पीने के पानी को लेकर आम लोग काफी सतर्क हो गये हैं. पेट में विभिन्न बीमारियों की शंका को लेकर लोग स्वच्छ जल ग्रहण करना चाहते हैं. इसके लिए एक परिवार में पानी की खरीदारी पर लगभग छह से आठ हजार रुपये खर्च किये जाते हैं. यह सिर्फ बाजार आने-जाने के दौरान प्यास लगने पर खरीदा जाता है, जबकि घर में 10-20 हजार रुपये की कीमत वाली मशीन भी लगायी जाती है. वहीं कारोबार से आय का आंकड़ा आसमान छू रहा है.
मिनरल वाटर से प्रति वर्ष 50 लाख रुपये आय का अनुमान बताया गया है. हाजीपुर में लगभग 15 प्लांटों से मिनरल वाटर की सप्लाइ होती है. इनकी आमदनी देखी जाये तो लगभग आठ करोड़ रुपये का प्रति वर्ष पानी बेच कर आय होती है. खास कर हाजीपुर एवं आसपास के इलाके में आर्सेनिक युक्त पानी होने से पानी का कारोबार चमक गया है. लोग आर्सेनिक वाला पानी पीने से परहेज करते हैं.
योजनाएं टायं-टांय फिस
हाजीपुर में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा महज 20-30 फीसदी परिवार को भी सही ढंग से स्वच्छ पेयजल मुहैया नहीं कराया जा रहा है. आम तौर सभी अपने-अपने चापाकल की व्यवस्था कर चुके हैं. विभाग प्रति वर्ष भले ही लाख-करोड़ रुपये योजना के तहत खर्च दिखाता हो, परंतु सच्चई धरातल पर कुछ और नजर आती है, जिससे अब घर-घर में मिनरल वाटर का प्रयोग होने लगा है. शहर एवं आस पास के इलाके में लगभग दस वाटर टावर निर्मित हैं, जिनमें अधिकतर ठप पड़े हैं. दो-चार ही सही ढंग से चालू हैं.