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दृढ़ संकल्पित करुणा आज अपने त्याग और सेवा की बदौलत, सैकड़ों शोषित एवं भटकने वाली महिलाओं की मार्गदर्शिका बन गयी हैं. अपनी संघर्ष भरी जिंदगी में भले ही वह कांटों पर चली हो, परंतु वह दूसरी असहाय महिलाओं के जीवन में खुशी देने का काम करती रही. समाज सेवा करने की लालसा में करुणा ने […]

दृढ़ संकल्पित करुणा आज अपने त्याग और सेवा की बदौलत, सैकड़ों शोषित एवं भटकने वाली महिलाओं की मार्गदर्शिका बन गयी हैं. अपनी संघर्ष भरी जिंदगी में भले ही वह कांटों पर चली हो, परंतु वह दूसरी असहाय महिलाओं के जीवन में खुशी देने का काम करती रही. समाज सेवा करने की लालसा में करुणा ने सरकारी नौकरी भी त्याग दी. पारिवारिक दायित्व को पूरा करते हुए नारी समाज के उत्थान का बीड़ा उठाने में वह हमेशा आगे रही. पिछले कई वर्षो से जिले की शोषित, पीड़ित एवं प्रताड़ित महिलाओं को उन्होंने हक दिलाया तथा उसे स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती रही. फिलहाल वह आधी-आबादी के लिए प्रेरक बन गयी हैं.

कौन है करुणा : वर्ष, 1971 के 24 मार्च को हाजीपुर की भूमि पर उन्होंने जन्म लिया.
पिता रामा रमण प्रसाद सिंह एवं माता राधा सिंह की पहली संतान के रूप में उन्हें पहचान मिली. मैट्रिक तक कि शिक्षा उन्होंने टाटा में ग्रहण किया. इंटरमीडिएट से एमए तक की पढ़ाई उन्होंने छपरा में रह कर प्राप्त की. करुणा की मां गृहिणी हैं, जबकि पिता बिजली विभाग के मुख्य अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वर्ष 1993 में करुणा के दापंत्य जीवन की शुरुआत हुई थी. उससे उसे तीन पुत्री एवं एक पुत्र की प्राप्ति हुई. शादी की 20 वीं वर्षगांठ से पहले 2013 में करुणा की सुहाग उजड़ गयी. कैंसर जैसी भयानक बीमारी ने उसके पति अशोक कुमार की जिंदगी लील ली. आरा के लहठान निवासी अशोक कुमार, पटना हाइकोर्ट में अधिवक्ता थे.
चुनौती भरी जीवन की शुरुआत : बचपन से ही स्वच्छ व स्वतंत्र ख्याल की करुणा हमेशा सामाजिक कार्य में भागीदारी निभाती रही. शादी के कुछ वर्ष बाद ही हाजीपुर के वैशाली महिला कॉलेज में उन्होंने मनोविज्ञान विषय की प्रधानाध्यापिका के रूप में अपना योगदान दिया, लेकिन यहां कॉलेज परिवार तक ही सिमट कर रह जाने की उनकी विवशता थी. समाज सेवा में स्वतंत्र रूप से जुड़ने की कसक करुणा के अंदर थी. वर्ष 2005 में करुणा, मुस्कान नामक संस्था से जुड़ कर समाज सेवा करने लगी. कॉलेज की नौकरी छोड़ दी. सामाजिक एवं पारिवारिक तौर पर उन्हें सहयोग एवं प्रोत्साहन मिला. वर्ष 2010 के एक जून को इस संघर्षशील महिला को बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गयी. बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग एवं महिला विकास निगम तथा निदान संस्था के सहयोग से हाजीपुर में अल्पवास गृह स्थापित किया गया. यहां मानव व्यापार, यौन शोषण, घरेलू हिंसा की शिकार महिला व युवतियों को सही जिंदगी देने का जिम्मा करुणा को दिया गया.
करुणा ने पलट दी काया : अल्पवास गृह में प्रशिक्षण सह पुनर्वास पदाधिकारी करुणा ने कई शोषित, पीड़ित, प्रताड़ित व भटकने वाली महिलाओं की जिंदगी में खुशी के रंग भर दिये. छह माह की अवधि तक यहां महिलाओं को रखा जाता है. इसी दौरान उसे सही ढंग से अपने पैरों पर अपना जीवन गुजारने के तरीके सिखाये जाते हैं. कटाई, बुनाई, कढ़ाई, सिलाई तथा टेडीवियर बनाने सहित कई गुणों को सीख कर महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ गयी हैं. मोकामा की उर्मिला कुमारी को उन्होंने नर्स की ट्रेनिंग दिला कर निजी अस्पताल में नौकरी दिलायी. शराबी पति से प्रताड़ित रोशन खातून को उचित हक दिला कर उसे बीड़ी निर्माण के लिए प्रेरित कर रोजगार की शुरुआत कराया . पटना के बाढ़ से भटकी हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त मीना देवी को परिवार से मिला कर उन्होंने इंसानियत की मिसाल कायम की. इस तरह से विगत पांच वर्षो में सैकड़ों असहाय महिलाओं को उन्होंने सही मार्गदर्शन दिया.
क्या कहती हैं करुणा : भटके एवं प्रताड़ित व शोषित महिलाओं का साथ देना और उन्हें सही ढंग से जीवन गुजारने की शिक्षा देना बहुत बड़ी जिम्मेवारी है. नारी समाज के उत्थान के लिए मैं हमेशा से तत्पर रही हूं. इस कार्य को करने में सरकारी तौर पर मुङो काफी मदद मिलती है.
क्या कहती हैं महिलाएं
आज हमारा परिवार खुश और सलामत है. मेरे शौहर की शराब की लत छुड़ाने में करुणा मैडम ने काफी मदद की. हमलोगों को बीड़ी बनाने के लिए उन्होंने ट्रेनिंग दिलाया. जिससे परिवार का खर्च चलता है.
रोशन खातून, जढ़ुआ
मैं घर से प्रताड़ित करके निकाली गयी थी. किसी तरह यहां अल्पवास गृह में पहुंची. करुणा मैडम के प्रयास से नर्स बन गयी है और आज अपनी जिंदगी खुशी से गुजार रही हैं.
उर्मिला कुमारी, मोकामा

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