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ट्रांसफॉर्मर तो लगा, लेकिन लोगों को नहीं मिल रहा पानी

नगर पर्षद क्षेत्र की आधी से अधिक आबादी को पेयजल की सुविधा कब मयस्सर होगी, यह सवाल आज तक मुंह बाये खड़ा है. 39 वार्डो में बंटे नगर पर्षद क्षेत्र की पौने दो लाख से ज्यादा की आबादी में आज भी तकरीबन 60 प्रतिशत लोगों के लिए पानी का इंतजाम नहीं हो पाया है. स्थिति […]

नगर पर्षद क्षेत्र की आधी से अधिक आबादी को पेयजल की सुविधा कब मयस्सर होगी, यह सवाल आज तक मुंह बाये खड़ा है. 39 वार्डो में बंटे नगर पर्षद क्षेत्र की पौने दो लाख से ज्यादा की आबादी में आज भी तकरीबन 60 प्रतिशत लोगों के लिए पानी का इंतजाम नहीं हो पाया है. स्थिति यह है कि गरमी के दिनों में नगर के दर्जनों मोहल्लों में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. खुद पीएचइडी के दावे पर गौर करें तो उसने विगत गरमी में नागरिकों की प्यास बुझाने के लिए दो लाख रुपये का पानी खरीद कर टैंकरों से मोहल्लों में पानी पहुंचाया. इससे नगर क्षेत्र में जल संकट की विकरालता का पता चलता है.

पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने में नाकाम नगर सरकार से विकास की बात बेमानी लगती है. नगर के लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक वार्डो में आज भी जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछने का लोगों का इंतजार है. घनी आबादी वाले अनेक ऐसे इलाके हैं, जहां पाइपलाइन है, लेकिन जलापूर्ति ठप है. वहां जल मीनार शोभा की वस्तु बन कर खड़ी है. पानी की समस्या से जूझते नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है.

ठंडे बस्ते में पड़ी है पाइप लाइन विस्तार की योजना : नगर क्षेत्र में लगभग 45 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने की योजना वर्षो से अधर में है. लगभग तीन साल पूर्व पर्षद द्वारा नगर विकास एवं आवास विभाग, पटना को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर आज तक अमल शुरू नहीं हुआ है.
विभाग की उदासीनता के कारण नगर के भरत राउत, चौहट्टा, छीपी टोला, चौधरी बाजार, समता कॉलोनी, बैंकमैन कॉलोनी, भगवती कॉलोनी, प्रोफेसर कॉलोनी, इंद्रपुरी, साकेतपुरी समेत दर्जनों कॉलोनियों एवं मोहल्लों के लोग जलापूर्ति की सुविधा से वंचित हैं.13 करोड़ खर्च, पर पानी की किल्लत बरकरार : तकरीबन दो साल पहले तक नगर पर्षद द्वारा शहरी जलापूर्ति योजना के नाम पर 12 करोड़ 47 लाख रुपये खर्च किये गये थे.
पार्षद की ओर से लोक स्वास्थ्य प्रमंडल, वैशाली को दी गयी इस राशि से कार्यपालक अभियंता द्वारा शहरी जलापूर्ति के लिए विभिन्न स्थानों पर सात जल मीनारें, आठ हाइ वीड ट्यूबवेल, आठ पंप चेंबर एवं मोटर पंप तथा 47.94 किलोमीटर पाइप लाइन का विस्तार कार्य कराया गया. इसके बाद नगर पर्षद द्वारा तेरहवें वित्त आयोग की अनुदान राशि से लगभग 37 लाख रुपये विभिन्न वार्डो में चापाकल लगाने पर खर्च किये गये. इसके बावजूद नगर क्षेत्र की बमुश्किल 40 प्रतिशत आबादी तक ही पानी की सुविधा पहुंच पायी है.
बनने के बाद से ही बंद है युसुफपुर की जलमीनार : नगर के युसुफपुर मोहल्ले में स्थापित एक लाख 50 हजार गैलन क्षमता वाली जलमीनार के चालू होने की प्रतीक्षा में लोगों की आखें पथरा गयी हैं. 2011 में बन कर तैयार इस पानी टंकी की बोरिंग फेल कर जाने के कारण यह आज तक बंद है. इसके चलते युसुफपुर, धनौती, पचीसकुड़वा, छोटी मड़ई, राजपूत नगर समेत दर्जनों भर मोहल्ले के लोग पानी का घोर संकट ङोल रहे हैं. इन इलाकों के 15 से 20 हजार लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए दुबारा बोरिंग करा कर इसे चालू कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया.
अभी तक चालू नहीं हुई अस्पताल रोड की जलमीनार : नगर के अस्पताल रोड में पीएचइडी परिसर स्थित 50 हजार गैलन क्षमता की जलमीनार डेढ़ साल से ठप पड़ी है, जो अब तक चालू नहीं हो सकी है. पिछले साल के मार्च महीने में ही बोरिंग फेल होने के कारण बंद हो चुकी है इस जल मीनार को चालू कराने के लिए ‘प्रभात खबर’ की पहल पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने न सिर्फ आवाज बुलंद की बल्कि सड़क पर उतर कर आंदोलन भी किया. अखबार द्वारा इस संबंध में प्रमुखता से छापी गयी खबरों का असर हुआ कि इस साल इसकी नयी बोरिंग करायी गयी. फिर भी काम अधूरा रहने के कारण बोरिंग होने के छह महीने बीतने के बाद भी यह अभी तक बंद है.

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