हाजीपुर : जिले के सभी थानों में थानाध्यक्ष द्वारा जनता दरबार लगा कर थाना क्षेत्र में होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं का निष्पादन करने के लिए सप्ताह का एक दिन घोषित है
सभी थानाध्यक्ष अपने-अपने थानों की दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षरों में थानाध्यक्ष द्वारा मंगलवार को जनता दरबार का आयोजन करने की जानकारी आम जनता के लिए लिखा रखे हैं, लेकिन एक विशेष सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ कि किसी भी थाने में थानाध्यक्ष द्वारा जनता दरबार नहीं लगाया जाता है. ऐसे मामलों में सरकारी काम तो केवल पेपरों पर ही चलता है.
समाज के बुद्धिजीवी लोगों की मानें तो अगर सभी थानों में थानाध्यक्ष जनता दरबार लगा कर क्षेत्र में होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं का निष्पादन कर देते, तो जिलाधिकारी द्वारा आयोजित होने वाले जनता दरबार में हर बार जिले के सुदूर क्षेत्रों से आने वाले हजारों फरियादियों की भीड़ नहीं उमड़ती.
जिलाधिकारी के जनता दरबार में आने के लिए दूर के प्रखंडों जैसे पातेपुर के लोग घर से सुबह चलते हैं ओर जनता दरबार में अपना आवेदन जमा कर वापस घर चले जाते हैं. वापस घर जाते-जाते देर शाम हो जाती है. जिलाधिकारी के यहां जमा होने वाले आवेदन वापस आवेदक के थानों में ही जांच के लिए जाते हैं.
आवेदकों को इतनी लंबी प्रक्रिया गुजरना नहीं पड़ता. वहीं थानाध्यक्ष द्वारा लगाये जाने वाले जनता दरबार के मामलों में कुछ थानाध्यक्षों ने बताया कि उनके थाने सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे जनता के लिए खुले रहते हैं लेकिन थाने में मामूली मोबाइल फोन गुम होने की सूचना दर्ज कराने के लिए भी लोगों को दो से तीन दिनों तक कभी ओपी पदाधिकारी तो मुंशी कभी थानाध्यक्ष यानी तीन चार टेबलों का चक्कर काटना पड़ता है और अंतत: फोन गुम होने की सूचना दर्ज कराने में सूचक से पैसा वसूला जाता है.