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कहीं संसाधन,तो कहीं शिक्षक नहीं
विज्ञान प्रयोगशाला और पुस्तकालय नहीं है चेहराकलां : कुछ शिक्षक बच्चों की एक टोली को लेकर विद्यालय परिसर में, जबकि कुछ शिक्षक बच्चों को कक्षा में पढ़ा रहे हैं. कुछ शिक्षक परिसर में बैठे धूप का आनंद ले रहे हैं. बच्चों की संख्या कम होने की वजह से संयुक्त वर्ग चल रहा है. संयुक्त वर्ग […]
विज्ञान प्रयोगशाला और पुस्तकालय नहीं है
चेहराकलां : कुछ शिक्षक बच्चों की एक टोली को लेकर विद्यालय परिसर में, जबकि कुछ शिक्षक बच्चों को कक्षा में पढ़ा रहे हैं. कुछ शिक्षक परिसर में बैठे धूप का आनंद ले रहे हैं. बच्चों की संख्या कम होने की वजह से संयुक्त वर्ग चल रहा है. संयुक्त वर्ग संचालित होने से अधिकतर शिक्षक यूं ही बैठे हैं.
बरामदा देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वर्षो से झाड़ू नहीं पड़ा है. छात्रों को विज्ञान प्रयोगशाला का नाम भी पता नहीं है. विद्यालय में पुस्तकालय भी हो सकता है यह वे सोच भी नहीं पा रहे हैं. एक महिला शिक्षिका शौचालय के नाम पर मायूस हो जाती हैं, कहती हैं कि कई बार वे इस समस्या के कारण ही विद्यालय नहीं आ पाती हैं. एक चापाकल है, जो पीने लायक पानी नहीं दे रहा है. कंप्यूटर शिक्षक के न होने के कारण कंप्यूटरों पर एक परत धूल जम चुकी है.
पेयजल के लिए चापाकल की व्यवस्था नहीं है
गोरौल : दो कमरों में छात्र-छात्राएं बैठे हैं, जो काफी शोर-गुल कर रहे हैं. वे पढ़ कम और बातें ज्यादा कर रहे हैं. विद्यालय की चहारदीवारी कई स्थानों से टूटी है, जिससे होकर जानवर आ-जा रहे हैं. यह विद्यालय कम चरागाह ज्यादा लग रहा है. खेल मैदान में बकरियां चर रही हैं, छात्र इधर-उधर टहल रहे हैं.
चापाकल नहीं होने से बच्चे पानी पीने के बहाने बाहर चले गये हैं. पूरे विद्यालय में बैठने की समस्या है, जिससे छात्र यहां पर आना नहीं चाहते हैं. जो छात्र बेंच पर बैठ जाते हैं, वे खड़े छात्र पर हंसते हैं. यहां पर मात्र 60 बेंचें हैं. एक शिक्षक हमेशा बाहर ही रहते हैं. शिक्षकों का मानना है कि छात्र पढ़ना नहीं चाहते. जबकि छात्रों का आरोप है कि शिक्षकों को कुछ आता नहीं, जिससे वे पढ़ाना नहीं चाहते.
छात्रों की संख्या अधिक होने से पठन-पाठन में परेशानी
देसरी : यहां पर शिक्षक और छात्र तो हैं, लेकिन शिक्षा गायब है. विद्यालय के बाजार में होने से छात्रों की संख्या अधिक है, जिससे शिक्षकों को परेशानी हो रही है. छात्र चहारदीवारी फांद कर भाग रहे हैं, तो शिक्षक उन्हें चारवाहे की तरह रोक रहे हैं. पूरा विद्यालय अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है. कोई छात्र बात करना नहीं चाहता है. विद्यालय का शौचालय समाप्त है, तो कक्षा भी गिरने के कगार पर है.
विद्यालय में शिक्षक पढ़ाने को तैयार नहीं दिखते और न छात्र ही पढ़ने को तैयार हैं. छात्र केवल घर से बचने के लिए विद्यालय आये हुए दिखते हैं, तो शिक्षक समय काट रहे हैं. विद्यालय परिसर में कुछ नये कमरों का निर्माण हो रहा है, लेकिन वह तीन साल से लटका हुआ है. वर्ग में एक भी छात्र नहीं दिखता है. शिक्षक इसके लिए छात्रों को जिम्मेवार ठहराते हैं.
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