गंदगी के ढेर पर बसा है देसरी निर्मल प्रखंड
हाजीपुर : मई, 2007 में उत्तर भारत का पहला निर्मल प्रखंड बनने का गौरव हासिल करनेवाले वैशाली जिले के देसरी प्रखंड की स्थिति वर्तमान में कुछ और ही बयां कर रही है. कहने को यह निर्मल प्रखंड है, लेकिन यह प्रखंड गंदगी के ढेर पर बसा है. स्थिति यह है कि यहां की आधी आबादी […]
हाजीपुर : मई, 2007 में उत्तर भारत का पहला निर्मल प्रखंड बनने का गौरव हासिल करनेवाले वैशाली जिले के देसरी प्रखंड की स्थिति वर्तमान में कुछ और ही बयां कर रही है. कहने को यह निर्मल प्रखंड है, लेकिन यह प्रखंड गंदगी के ढेर पर बसा है. स्थिति यह है कि यहां की आधी आबादी अब भी खुले में शौच करने को विवश है.
पूरे भारत को स्वच्छ बनाने की मुहिम में देसरी प्रखंड शायद सबसे पीछे है. मालूम हो कि इस प्रखंड को चार मई, 2007 को दिल्ली के आंबेडकर भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के द्वारा तत्कालीन प्रखंड प्रमुख दिनेश सिंह को निर्मल प्रखंड के लिए पुरस्कृत किया गया था. साथ ही स्वच्छता में और बेहतर व्यवस्था करने के लिए 20 लाख रुपये भी पुरस्कार स्वरूप दिये.
निर्मल प्रखंड बनने के साल ही बाढ़ आ गयी और गरीबों व दलित बस्तियों में बनाये गये अधिकतर शौचालय बाढ़ में ध्वस्तहो गये. आश्चर्य तो इस बात का है कि प्रख्ांड की आठ पंचायतों में से दो पंचायत भिखनपुरा व आजमपुर आदर्श पंचायतें हैं. अधिकतर गरीब लोग आज भी शौच के लिए खेतों में जाने को विवश है. देसरी को निर्मल प्रखंड बने सात साल से अधिक हो गये. सरकार शौचालय निर्माण के लिए 15 हजार रुपये लोगों को दे रही है, लेकिन इस प्रखंड को निर्मल का दर्जा मिला हुआ है , इसलिए इस योजना का लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
यही कारण है कि अब भी अधिकतर गरीब खुले में शौच करने को विवश हैं. महिलाओं को शौच के लिए अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है. इस संबंध में पूछने पर बीडीओ ने कहा कि जल्द ही डीएम से दिशा-निर्देश की मांग की जायेगी.