अल्पावास गृह के बाद अब कहां जायेंगी दीपिका व शबनम
हाजीपुर : वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड स्थित चकवाजा गांव में एकमात्र अनाथालय था. इसी अनाथ आश्रम में दीपिका एवं शबनम का बचपन गुजरा. किशोरावस्था पार कर आज जवानी की दहलीज पर खड़ी हैं. उम्र के हिसाब से इनकी शादी हो जानी चाहिए. मगर कैसे होगी शादी ? अब आश्रम बंद हो गया है. […]
हाजीपुर : वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड स्थित चकवाजा गांव में एकमात्र अनाथालय था. इसी अनाथ आश्रम में दीपिका एवं शबनम का बचपन गुजरा. किशोरावस्था पार कर आज जवानी की दहलीज पर खड़ी हैं.
उम्र के हिसाब से इनकी शादी हो जानी चाहिए. मगर कैसे होगी शादी ? अब आश्रम बंद हो गया है. अनाथालय के संचालक जेल चले गये.उसके बाद प्रशासन ने इन युवतियों को अल्पावास गृह में जगह दी. लगभग साल भर से अधिक समय बीत गया.लेकिन जिला प्रशासन अब तक इन युवतियों को स्थायी रूप से रहने की व्यवस्था नहीं कर पाया है, क्योंकि अल्पावास गृह में छह माह ही किसी महिला,युवती एवं किशोरी को रखने का प्रावधान है.
कैसे पहुंचीं अनाथालय : बताया जाता है कि बचपन में ही दीपिका सोनपुर मेले से आश्रम पहुंची थी.चकवाजा आश्रम के संचालक ने इस अनाथ बच्ची को सहारा दिया था.लालन-पालन से लेकर पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा उठाया था. वहीं शबनम भी इस संसार में अकेली है.वह भी इसी आश्रम में पली-बढी. प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की. लेकिन अब आश्रम बंद होने के बाद इन दोनों अनाथ युवतियों की जिंदगी अधर में है.
आश्रम ने दिया नाम व पहचान : मेले एवं रास्ते में भटक रहीं ये बच्चियां जब अनाथ आश्रम आयीं, तो वहां इन्हें दीपिका एवं शबनम नाम से पहचान मिली. बताया गया है कि दीपिका का स्वास्थ्य तो ठीक है, मगर शबनम की मानसिक स्थित सही नहीं है. उसे इलाज की जरूरत है.
साल भर से हैं अल्पावास गृह में : वर्ष 2013 के 27 अक्तूबर को चकवाजा लोक सेवा आश्रम से इन दोनों को अल्पावास गृह लाया गया था.यहां नियम के अनुसार महज छह माह ही इस गृह में ये युवतियां रह सकती हैं.लेकिन अनाथ होने के कारण यह संस्थान अपनी ओर से अब तक रख रहा है. हालांकि इस बात की जानकारी जिलाधिकारी को दी जा चुकी है. बताया गया है कि जिला प्रशासन भी इन युवतियों के लिए चिंतित है तथा बहुत जल्द ही इन्हें स्थायी जगह पर रखा जायेगा.
क्या कहती है दीपिका : शबनम तो मानसिक रोगी होने के कारण कुछ भी बोल नहीं पाती है. मगर दीपिका अपनी जिंदगी को लेकर काफी चिंतित दिखती है.पूछने पर अपना घर सोनपुर बताती है और पिता का नाम जगेश्वर सिंह. इसके अलावा कुछ भी नहीं कहती है और उसकी आंखें आंसुओं से भर जाती हैं.
क्या कहती हैं प्रबंधक : दीपिका एवं शबनम को साल भर से अधिक यहां रखा गया है.हालांकि छह माह ही रहने का प्रावधान है. एक युवती मानसिक रूप से बीमार है. इन बातों की जानकारी जिलाधिकारी को दे दी गयी तथा इन दोनों युवतियों के लिए स्थायी व्यवस्था करने की पहल की जा रही है.
करुणा, प्रबंधक,अल्पावास गृह
क्या कहते हैं पदाधिकारी
दोनों अनाथ युवतियों के प्रति प्रशासन जागरूक है.जानकारी मिली है कि अल्पावास गृह में रहने का समय पूरा हो गया है. जिलाधिकारी अभी बाहर हैं. इस संबंध में उन्हीं के स्तर से कार्रवाई होगी. फिलहाल दोनों अल्पावास गृह में ही रहेंगी.
शिव कुमार सिन्हा
सहायक निदेशक,सामाजिक सुरक्षा ,वैशाली