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न्यायालयों तक पहुंचे 10 हजार से अधिक मामले

इस वर्ष कुल 6491 प्राथमिकियां हुईं दर्ज जबकि गत वर्ष यह केवल 6001 थीं पूरे वर्ष में जिले में प्राथमिकी की संख्या में लगभग आठ प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी महिला थाने ने इस वर्ष में केवल 35 और अजा-अजजा थाने ने 48 मामले दर्ज किये बढ़ते अपराध पर काबू पाने के सरकारी निर्देशों के पालन […]

इस वर्ष कुल 6491 प्राथमिकियां हुईं दर्ज जबकि गत वर्ष यह केवल 6001 थीं
पूरे वर्ष में जिले में प्राथमिकी की संख्या में लगभग आठ प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी
महिला थाने ने इस वर्ष में केवल 35 और अजा-अजजा थाने ने 48 मामले दर्ज किये
बढ़ते अपराध पर काबू पाने के सरकारी निर्देशों के पालन में विफल पुलिस प्रशासन आपराधिक घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज नहीं कर घटनाओं के आंकड़े को संतुलित करने का प्रयास करता रहा. लेकिन इस वर्ष जिले के थाने में दर्ज हुईं प्राथमिकियों ने प्रमाणित किया है कि जिले में अपराध बेतहाशा रूप में बढ़ा है.
हाजीपुर : राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता के कारण बढ़ी हैं जिले में आपराधिक घटनाओं की संख्या. आमतौर पर किसी आपराधिक मामले पर प्राथमिकी दर्ज करने से कतराने वाली पुलिस ने वर्ष 2014 में आज तक कुल 6491 प्राथमिकी दर्ज कीं, जबकि गत वर्ष यह संख्या केवल 6001 थी.
इस तरह पूरे वर्ष में प्राथमिकी की संख्या में लगभग आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. जैसा कि सर्वविदित है अधिकतर आपराधिक मामले पुलिस तक पहुंचने से पूर्व ही सामाजिक स्तर पर रफा-दफा कर दिये जाते हैं. कुछ मामलों में संबंधित थानों द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में परिवाद पत्र भी दाखिल किये जाते हैं. इस वर्ष यह आंकड़ा साढ़े तीन हजार से ऊपर है. इस तरह वर्ष 2014 में 10 हजार आपराधिक मामले न्यायालय तक पहुंचे.
किस थाने में कितने मामले
नगर थाना-1122
सदर थाना-619
महुआ थाना-527
बिदुपुर थाना-431
वैशाली थाना-391
गोरौल थाना-374
लालगंज थाना-322
देसरी थाना-315
महनार थाना-301
जंदाहा थाना-300
भगवानपुर-284
सराय थाना-240
राजापाकर -211
औद्योगिक क्षेत्र-196
पातेपुर थाना-194
राघोपुर थाना-128
तिसिऔता थाना-97,
करताहां थाना-93
अजा-जजा थाना-48
जुड़ावनपुर थाना-35
महिला थाना – 35
प्राथमिकी दर्ज करने से कतराती पुलिस
अपराध पर काबू पाने के सरकारी निर्देशों के पालन में विफल पुलिस प्रशासन आपराधिक घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज नहीं कर केवल आंकड़े को संतुलित करने का प्रयास करता है. यह इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दायर 70 प्रतिशत परिवाद पत्रों में महिला उत्पीड़न एवं दस प्रतिशत मामलों में अनुसूचित जाति उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है.
सबसे अधिक नगर व सबसे कम महिला थाने में केस
इस साल सबसे अधिक 1122 प्राथमिकी नगर थाने में दर्ज की गयीं वहीं आश्चर्यजनक रूप से महिला थाने ने पूरे वर्ष में केवल 35 और अनुसूचित जाति-जनजाति थाने ने मात्र 48 प्राथमिकियां दर्ज कीं. महत्वपूर्ण बात तो यह है कि महिला थाने के क्षेत्रधिकार में पूरा जिला आता है. वहीं अजा-जजा थाने के क्षेत्र में कई जिले आते हैं. महिला थाने ने भी आधी आबादी की आवाजों को दबाने का प्रयास किया है.

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