महुआ : रमजान बरकतों का महीना है लोगों को नमाज अदा करने से तथा दान देने से शबाब मिलता है. ये बातें रमजान के दूसरे जुम्मे पर शाही मसजिद के मौलाना अब्दुल राशिद ने कहीं. उन्होंने कहा कि हर आदमी को पाक साफ होकर रोजा रख रमजान के महीने में नमाज वक्त पर पढ़ना चाहिए.
छतवारा गांव निवासी मौलवी मजहर हसन साहब ने कहा कि रमजान के माह में झूठ नहीं बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्रोध और झूठ ऐसे दो काम हैं जो इस माह में करने से नरक का रास्ता मिलता है. दूसरे जुमा पर महुआ के शाही मसजिद, चकमजाहिद मसजिद, छतवारा मसजिद, ओस्ती मसजिद समेत अनेक मसजिदों में लोगों ने नमाज अदा की.
इस दौरान शाही मसजिद में मो सत्तार, मो चांद, मो तैयब, मो फिदा, मो सोबराती, मो फिरोज, इजहार आलम, मो इरशाद, नूर आलम समेत अनेक लोगों ने नमाज अदा कर अल्लाह की किताब में हाजिरी बनायी. महुआ के शाही मसजिद में मदरसा के बच्चों ने दूसरे जुम्मे पर नमाज अदा की. बच्चे नमाज अदा कर काफी प्रसन्न दिखे.
* मसजिदों में उमड़ी नमाजियों की भीड़ : पवित्र रमजान महीने के दूसरे जुम्मे को मसजिदों में नमाजियों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों ने अल्लाह को याद किया और सामूहिक रूप से याद किया. जो लोग मसजिदों में नहीं पहुंच पाये, उन्होंने अपने प्रतिष्ठानों और घरों में ही नमाज अदा की. रोजा रख रहे बहुत सारे लोग पांचों वक्त के नमाज अदा कर रहे हैं. जुम्मे के नमाज के लिए लोगों में उमंग और उत्साह परवान पर था. क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी जुम्मे की नामाज में शामिल होने के लिए उत्साहित थे. युवाओं की भी अच्छी संख्या देखी गयी.
इस दौरान लोग गुनाहों की मुआफी और बुरी बातों से तौबा कर रहे हैं. मौलाना और बुजुर्ग नेकी और अच्छे कार्य पर विशेष ध्यान दे रहे थे. मंगलताब के मुफती मौलाना हुस्सान नूरी, मौलाना कादिर आदि ने कहा कि इस पाके माह गुनाहों की मुआफी का बेहतर समय होता है. अल्लाह के निकट रहने का उचित समय है. जन्नत के दरवाजे खुले होते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म संप्रदाय के लोग रोजा रख इसका लाभ उठा सकता है. इसके पहले लोग सहरी और इफतार में शामिल हुए