मठ-मंदिरों में उमड़े शिवभक्त

हाजीपुर : श्रावण भगवान शिव की भक्ति के लिए श्रेष्ठ समय होता है. सनातन धर्म में भगवान शिव सबसे प्राचीन और प्रमुख देवता माने गये हैं. वेद–पुराणों में इसकी विस्तृत चर्चा की गयी है. जानकारों का मानना है कि प्रकृति शिव और इनकी शक्ति से ही संचालित है. यह प्रकृति से निकटता बढ़ाता है. श्रावण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2013 12:27 AM

हाजीपुर : श्रावण भगवान शिव की भक्ति के लिए श्रेष्ठ समय होता है. सनातन धर्म में भगवान शिव सबसे प्राचीन और प्रमुख देवता माने गये हैं. वेदपुराणों में इसकी विस्तृत चर्चा की गयी है. जानकारों का मानना है कि प्रकृति शिव और इनकी शक्ति से ही संचालित है. यह प्रकृति से निकटता बढ़ाता है. श्रावण आज से शुरू हो गया है. सभी मठमंदिरों में सावन के पहले दिनशिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी.

* शिवालयों में जलाभिषेक शुरू

भगवान शिव के जलाभिषेक विल्वपत्र से की गयी पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. मान्यता है कि सावन में ही समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था. विष के प्रभाव से उत्पन्न गरमी को शांत करने के लिए गंगा जल से अभिषेक एवं विल्वपत्र से पूजन किया गया. तभी से अभिषेक करने की परंपरा चली रही है.

एक दूसरी मान्यता के अनुसार, इस माह में भगवान भक्तों के दुखदर्द को दूर करने के लिए पृथ्वी पर भगवान कुबेर, माता अन्नपूर्णा और पार्वती के साथ पधारते हैं.


* रुद्राभिषेक
से होती है मनोकामना पूर्ण

श्रावण माह में रुद्राभिषेक पंचामृत अभिषेक से सभी मनोकामना पूर्ण धनधान्य से परिपूर्ण होते हैं. शिव की निष्काम भक्ति मोक्ष सकाम भक्ति मनोकामना पूर्ण करती हैं. प्रात: स्थान ध्यान तथा इंद्रियों पर संयम रखते हुए पंचाक्षरी गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. अखंड बेल पत्र, धतूरा, गंगा जल से पूजन करने के अलावा पितृदोष के लिए गया, हरिद्वार, बद्रीनाथ में विशेष अनुष्ठान करना चाहिए. प्रदोष काल में पूजन करना अति फलदायक है.

* चार प्रहर पूजा से प्राप्त होता है फल

शिवरात्री के दिन रात्रि के चार प्रहर में पूजाअर्चना और अभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है. प्रथम प्रहर में दुग्ध, द्वितीय प्रहर में दही, तृतीय प्रहर में धृत और चतुर्थ प्रहर में मधु से अभिषेक पूजा करनी चाहिए.

ऐसा साधुसंतों का मानना है. शिवलिंग अभिषेक जल से सर्व सुख, घी से वंश विस्तार बुद्धि, दूध से गृह शांति, गंगा जल से पुत्र प्राप्ति, सरसों तेल से शत्रु बाधा, विल्व पत्र से मनोकामना पूर्ण होती हैं. शिव पूजन के लिए सोमवार तथा प्रत्येक माह का प्रदोष काल विशेष लाभप्रद माना जाता है.

* प्रकृति के निकट आने का समय

* विश्व की रक्षा के लिए भगवान शिव ने पिया था विष

* सावन में शिव की निष्काम भक्ति से मोक्ष सकाम भक्ति से मनोकामनाएं होती हैं पूरी

Next Article

Exit mobile version