हाजीपुर/वैशाली/गोरौल : श्रवण की पहली सोमवारी को प्रत्येक शिवालय में हर–हर महादेव, बोल बम के जयकारों से सारा क्षेत्र गुंजायमान रहा. विदित हो कि सावन महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा–अर्चना की जाती है. क्षेत्र के कई विद्वानन पंडितों ने बताया कि इस महीने में महादेव को जल, गाय के दूध, गन्ना के रस, मधु, धी, शक्कर, दही से अभिषेक बड़ा ही फलदायी होता है.
महादेव के अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समी पत्र, दूध, कुश, कमल, नीलकमल, ऑफ मदार, जवाफूल, कनेल, धतुर आदी के फूल चढ़ाने से महदेव प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही भांग, धतुरा, श्रीफ ल चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. बेलपत्र, समीपत्र और नील कमल चढ़ाने का भी बड़ा महत्व है.
इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए विधि के बारे में परमपिता ब्रह्म से पूछा तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महदेव 100 कमल चढ़ाने से जितना प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने से, एक हजार नील कमल चढ़ाने से महादेव जितना प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक बेलपत्र चढ़ाने से. हिंदू धर्म के अनुसार सावन देवों के देव महादेव का महीना माना जाता है.
इस संबंध में भी एक पौराणिक कथा के अनुसार जब ऋषि सनक कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना इतना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर का त्याग कर दिया तो उसके पहले ही देवी सती ने हर जन्म में महादेव को ही अपने पति के रूप में पाने का प्रतिज्ञा की. अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने ही पार्वती नाम से राजा हिमाचल और मैना रानी के धर में पुत्री के रूप में जन्म लिया.
पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन महीने में ही नीराहार रह कर कठोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर विवाह भी किया. तब से ही सावन मान भगवान महादेव एवं माता पार्वती के भगवा गेरू वस्त्र धारण कर बोल बम के नारा लगाते हुए गंगाजल लेकर विभिन्न शिवालयों के ओर प्रस्थान के लिए प्रिय महीना हो गया.
* भक्तों की उमड़ी भीड़
महुआ : सावन की पहली सोमवारी को लेकर क्षेत्र के शिवालयों में भाड़ी भीड़ उमर पड़ी. श्रद्धालुओं की उमंग से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया. क्षेत्र के महावीर मंदिर पंचानंद शिव मंदिर कालीघाट थाना परिसर शिव मंदिर, डाक घर परिसर शिव मंदिर छतवारा शिव मंदिर, गोपाल ग्राम शिव मंदिर के साथ अन्य शिवालयों में कुमारी कन्याओं के साथ सुधगिन महिलाओं ने भी जलाभिषेक का भगवान शिव की पूर्जा–अर्चना कर मन्नत मांगी.