गरीबी से हार गयी थी माधुरी
दो मासूम बेटियों के साथ एक नि:शक्त महिला ने दे दी थी जहर खाकर जान गरीबी,विकलांगता और बेटियों के बोझ से माधुरी तंग हो चुकी थी. घर में कई दिनों से खाने को लाले पड़े थे. मायके जाकर भी वह चैन से नहीं रह पाती थी. दो बेटियों की लालन-पालन की जवाबदेही को कै से […]
दो मासूम बेटियों के साथ एक नि:शक्त महिला ने दे दी थी जहर खाकर जान
गरीबी,विकलांगता और बेटियों के बोझ से माधुरी तंग हो चुकी थी. घर में कई दिनों से खाने को लाले पड़े थे. मायके जाकर भी वह चैन से नहीं रह पाती थी. दो बेटियों की लालन-पालन की जवाबदेही को कै से निभाती. घर में एक दाना अनाज और एक फू टी कौड़ी नहीं था. अंत में वह पूरी तरह नर्वस हो चुकी थी. नतीजतन उसने जहर खाकर अपनी दोनों बेटी के साथ जान गंवा दी.
संवाददाता, हाजीपुर
एक छोटा सी झोंपड़ी और उसमें एक चौकी पर फटा- पुराने बिस्तर रखा हुआ था. एक मिट्टी का चूल्हा, दो-तीन छोटे-छोटे खाली बरतन पड़े थे. बीच में एक 70 वर्ष का वृद्ध नगीना राय फटी चादर में लिपट कर बैठा भूख से तड़प रहा था. पानी के लिए तरस रहा था. गरीबी का यह दृश्य चांदपुरा ओपी के जहांगीरपुर शाम गांव का है. इसी वृद्ध की बहू ने गरीबी से तंग होकर अपनी दो मासूम बेटियों के साथ खुद जहर खाकर जान दे दी.
पूरी तरह है भूमिहीन है परिवार
नगीना राय के पुत्र उमेश राय की शादी पांच वर्ष पहले बिदुपुर के साहेब राय की बेटी माधुरी कुमारी से हुई थी. उसकी दो पुत्रियां चार वर्ष की सोनी एवं एक साल की सोनल थी. पिछले कई वर्षों से इस भूमिहीन परिवार के समक्ष आर्थिक तंगी है. यहां तक कि घर में खाने के लिए अनाज भी नहीं है. उमेश खुद लेबर का काम करता है. लेकिन उसकी कमाई से परिवार को चला पाना संभव नहीं था. पैसों के साथ इस परिवार को जमीन का भी अभाव है. महज एक झोंपड़ी भर ही जमीन बतायी जाती है.
था बेटियां, विकलांगता व गरीबी का बोझ
माधुरी व उसकी पुत्रियों की आत्महत्या के पीछे गरीबी ही बतायी जाती है. माधुरी खुद विकलांग थी, जिससे उसकी अपनी जिंदगी ही बोझ बन गयी थी. इसके बाद ईश्वर ने इस महिला की गोद दो-दो पुत्री से भर दी थी. घर की माली हालत देख कर यह चिंता सताने लगी थी कि दोनों का लालन-पालन के बाद शादी कैसे होती. साथ ही सास व ससुर की सेवा का दायित्व पूरा करना. इन तमाम कार्य के लिए अच्छी आमदनी की जरूरत थी. जमीन-जायदाद नहीं होने से समस्या का निदान नहीं दिख रहा था. परिणाम स्वरूप माधुरी ने शुक्रवार को अपनी दोनों बेटियों के साथ जहर खा लिया.
क्या कहते हैं ग्रामीण
शनिवार की सुबह भी गांव का दृश्य काफी गमगीन था. तीन-तीन लाशें निकलने के बाद पूरे गांव में मातम का माहौल था. ग्रामीणों ने बताया कि नगीना राय का परिवार बेहद गरीब है. उसे रहने व खाने की काफी दिक्कत है. नगीना राय एवं उसकी पत्नी की जिंदगी अब चंद दिन ही बचे है. लेकिन खाने के बिना पूरा परिवार मर रहा है.
लाचार नगीना राय का दर्द
पूछने पर वृद्ध की दोनों आंखें डबडबा गयी.आवाज कांपने लगी. फिर भी अपना दर्द को बयां किया कि चार दिनों से घर का चूल्हा नहीं जला. भूखे-प्यासे मरने को मजबूर हैं. पोतियों व पतोहू की मौत के बाद पत्नी व बेटा भी डर से भाग गये हैं. वह भी कहीं मर जायेंगे. इस वृद्ध को देखने से लगता है कि जाैंडिस से पीड़ित है. पूरा शरीर पीला पड़ गया है.
क्या है पूरा घटनाक्र म
मृतका के पिता साहेब राय ने बताया कि मेरी बेटी के ससुराल में गरीबी तो थी. कई दिनों से माधुरी 50 हजार रुपये की मांग कर रही थी. दो दिन पहले ही वह मायके से आयी थी. खबर मिली कि उसने जहर खा ली है. जब तक वहां गये तब तक मेरी बेटी व नतिनी की मौत हो चुकी थी. पहले सोनल व उसकी मां की मौत हुई थी. इलाज के दौरान सोनी कुमारी की सांस भी रुक गयी. पुलिस ने तीनों शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल ले गयी.
एक साथ उठी मां-बेटियों की अरथी
शनिवार को माधुरी व उसकी बेटी सोनी व सोनल की अरथी एक साथ उठायी गयी. हाजीपुर के कौनहरा घाट पर शवों का अंतिम संस्कार मृतका के पिता ने किया. साहेब राय का भी हाल रो -रो कर बुरा है.
सरकारी योजनाओं से महरूम है परिवार
आखिरी सांस गिन रहे नगीना राय से जब पूछा गया कि सरकारी अनाज मिलता है तो उसने बताया कि कभी नहीं मिला. भीख मांगने के बाद ही परिवार में लोग खाना खा पाते थे. आज तक उमेश को मनरेगा में काम नहीं मिला. किसी तरह एक झोंपड़ी के नीचे सभी जिंदगी गुजार रहे थे. अब हालात यह है कि इस वृद्ध को एक ग्लास पानी देने वाला कोई नहीं है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अभी तक तो परिवार में कलह की बात बतायी गयी है. एसडीओ से रिपोर्ट मिली है कि आपसी विवाद में खुदखुशी की गयी है. अगर गरीबी व भुखमरी की बात है, तो प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ कार्रवाई करेगा. मृतका के परिवार की हर संभव मदद की जायेगी. मामले की फिर से जांच करने को अविलंब ही एसडीओ को आदेश देंगे.
विनोद सिंह गुंजियाल, डीएम