* प्रभार मिलने के तीन साल के अंदर ही खरीदे कई जगहों पर फ्लैट
हाजीपुर : जिला पर्षद वैशाली के पूर्व सहायक अभियंता शिशिर कुमार के पास करोड़ों की अचल संपत्ति है. शिशिर कुमार के पास दिल्ली ,पूना, पटना के अलावा हाजीपुर में भी कई जगह आलीशान मकान है. इंजीनियर शिशिर कुमार ने खुद अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा सरकार को दे रखा है.
दिल्ली के पांडव नगर में दो फ्लैट के अलावा पूना में एक तथा पटना में भी मंगुश्री कंपलेक्स में शिशिर कुमार के नाम से एक फ्लैट है. इन फ्लैटों की कीमत वर्तमान में एक करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही. मजे की बात यह है कि इन फ्लैटों की खरीदारी पूर्व इंजीनियर ने तब की जब वे जिप के सहायक अभियंता बने. शिशिर कुमार 30 जून, 2004 को जिला अभियंता के प्रभार में आये.
प्रभार मिलने के तीन साल के अंदर ही उन्होंने कई जगहों पर फ्लैट खरीदे. सरकार को दिये गये ब्योरे में इन फ्लैटों की खरीदारी का वर्ष 2007 अंकित है. यानी कार्यपालक अभियंता के प्रभार में आने के महज तीन साल के अंदर शिशिर कुमार को दिल्ली ,पटना ,पूना में फ्लैट खरीदे.
हालाकि पूर्व अभियंता ने यह बताया कि उन पर गलत आरोप लगाये गये हैं और उनके परिवार के सदस्यों की मासिक इनकम डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा है. इधर आर्थिक अपराध विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व सहायक अभियंता ने कई एकड़ जमीन भी खरीद रखी है.
* प्रभार में भी रहे शिशिर कुमार
जिला पर्षद, वैशाली के पूर्व सहायक अभियंता शिशिर कुमार 2004 में पदस्थापित हुए थे, लेकिन अपने रसूख व पैरवी के बदौलत नियमों को ताक पर रख कर लगातार जिला पर्षद, वैशाली में कार्यपालक अभियंता का प्रभार लिये रहे. इस दौरान किसी भी कार्यपालक अभियंता की पदस्थापना नहीं हुई. इस दौरान इन पर कई योजनाओं में गड़बड़ी करने का आरोप भी लगा था.
फर्जी नाम व पतों से इंदिरा आवास की राशि स्वीकृत की गयी. इसके अलावा 22 चापाकलों की राशि भी फर्जी नाम व पतों पर निकालने का आरोप लगाया गया था. आरोप तय होने के बाद दोनों योजनाओं से करीब साढ़े 10 लाख रुपये की राशि वापस मंगायी गयी. जिला पर्षद में 89 लाख रुपये के गबन करने का एक मामला नगर थाने के कांड संख्या 494/13 में भी दर्ज की.
यह प्राथमिकी जिला पर्षद के ही एक कनीय अभियंता राम लगन प्रसाद के खिलाफ दर्ज है. कहा जाता है कि शिशिर कुमार और राम लगन प्रसाद की मिलीभगत से ही इतनी बड़ी राशि का गबन किया गया. इस मामले में पहले ही 16 पदाधिकारियों की छुट्टी हो चुकी है.
गौरतलब है कि डीएम ने भी इसी वर्ष चार फरवरी को ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को पत्र लिख कर जिला पर्षद की योजनाओं में गड़बड़ी की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी. जिला पर्षद के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जिला पर्षद ने शिशिर कुमार को रिटायर होने के बाद भी दो साल की सेवा अवधि का विस्तार दिया था, लेकिन गबन के कारण उन्हें प्रभार नहीं दिया गया.