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वास्तविक पहचान खो रहा है बौना मेला
वैशाली : वैशाली का ऐतिहासिक एवं अति प्राचीन मेला बौना मेला आज अपनी वास्तविक पहचान खोता जा रहा है. सौर गणना पर आधारित यह मेला कब से लगता है, यह किसी को पता नहीं, पर जब कनिघंम वैशाली आये थे, उस समय यह मेला बौना पोखर पर लगता था. रामनवमी के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्र […]
वैशाली : वैशाली का ऐतिहासिक एवं अति प्राचीन मेला बौना मेला आज अपनी वास्तविक पहचान खोता जा रहा है. सौर गणना पर आधारित यह मेला कब से लगता है, यह किसी को पता नहीं, पर जब कनिघंम वैशाली आये थे, उस समय यह मेला बौना पोखर पर लगता था.
रामनवमी के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्र में लगनेवाला अपने आप में एक अनूठा मेला था, जहां दूर दराज के गांव से आये ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की सामग्री खरीदा करते थे. बाद में यह मेला मिरन जी की दरगाह के पास लगने लगा. तीन दिनों तक लगनेवाला यह मेला खासकर स्वादिष्ट बेल के लिए जाना जाता है. ग्रामीण यहां से मसाला, हल्दी, लहसुन, मिर्चा, तेजपत्ता आदि की खरीदारी किया करते थे. साथ ही लकड़ी से बने एक से बढ़ कर एक फर्नीचर इस मेले में मिला करते थे. जो अब इस मेले में देखने को नहीं मिल रहे हैं.
स्थानीय लोगों में बौना मेला नाम से मशहूर यह मेला वैशाली गढ़ के समीप ही करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर लगता है . जो कभी चार से पांच दिनों तक चलता था, जिसमें सैकड़ों दुकानें इस मेले की शोभा बढ़ाती थी .अब मात्र कुछ घंटों के लिए कुछ दुकानों के साथ लगता है मेला, जिस कारण इस मेले की अपनी वास्तविक पहचान समाप्त हो रही है. इससे स्थानीय लोगों में काफी क्षोभ है.
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