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ग्रामीण संस्कृति को समेटे हुए शुरू हुआ मेला

हाजीपुर : भारतीय सभ्यता और संस्कृति में मेले की परंपरा सदियों पुरानी है. ग्रामीण संस्कृति में मेले को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. आधुनिक हो रहे समाज में मेले का प्रभाव कम हुआ है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका महत्व आज भी बरकरार है. दो दिवसीय वैशाली महोत्सव के दौरान मेले में उमड़ी भीड़ इसके महत्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2015 7:44 AM
हाजीपुर : भारतीय सभ्यता और संस्कृति में मेले की परंपरा सदियों पुरानी है. ग्रामीण संस्कृति में मेले को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. आधुनिक हो रहे समाज में मेले का प्रभाव कम हुआ है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका महत्व आज भी बरकरार है.
दो दिवसीय वैशाली महोत्सव के दौरान मेले में उमड़ी भीड़ इसके महत्व को दरसा रहा है. जैन धर्म के 24 वें तीथरकर भगवान महावीर के जन्मोत्सव पर उनकी जन्मस्थली वैशाली में आयोजित मेले में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. मेले में आवश्यकता के सभी सामान तो हैं ही, मनोरंजन की भी व्यवस्था है. बच्चों कि किलकारी से प्राचीन संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं.
ग्रामीण महिलाओं के साथ शहर की महिलाएं भी मेले का आनंद उठायीं. मेले में श्रृंगार प्रसाधन, काठ के सामान, खिलौने और अन्य कई प्रकार की दुकानें लगायी गयी हैं.
विदेशी पर्यटकों ने भी मेले का आनंद उठाया. बच्चे खिलौने की जिद पर अड़े थे, तो कोई चाट-पकौड़े खाने की जिद पर. जिला प्रशासन द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम जिले के प्राचीन कौमुदी महोत्सव की याद दिला दी. लोक संस्कृति के कार्यक्रम चैता गायन को लोगों ने ज्यादा पसंद किया. लोगों का कहना था कि इस महोत्सव के स्वरूप में बदलाव लाने की जरूरत है. इसे दो दिन से बढ़ा कर सात दिन तक अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए.

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