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बेमौसम बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर

आंधी-तूफान और बरसात ने हजारों किसानों की मेहनत पर फेर दिया पानी हाजीपुर : जिले के किसान अपनी फसलों की बरबादी पर आंसू बहाने को बाध्य हैं. एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार हुई बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. कर्ज लेकर रबी की फसल उगानेवाले किसानों के सामने सिर पीटने के अलावा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2015 5:44 AM
आंधी-तूफान और बरसात ने हजारों किसानों की मेहनत पर फेर दिया पानी
हाजीपुर : जिले के किसान अपनी फसलों की बरबादी पर आंसू बहाने को बाध्य हैं. एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार हुई बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. कर्ज लेकर रबी की फसल उगानेवाले किसानों के सामने सिर पीटने के अलावा कोई चारा नहीं. उनके अरमान बरसात के पानी में बह गये हैं. बीते 30 मार्च को आयी आंधी, तूफान और बरसात ने हजारों किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया था. किसान इस दुख से उबर भी नहीं पाये थे कि 5 अप्रैल की रात फिर बारिश हो गयी.
गेहूं के साथ आम और लीची को नुकसान
बेमौसम की बरसात ने रबी फसलों को काफी क्षति पहुंचायी है. इसके साथ ही आम और लीची को भी नुकसान पहुंचा है. गेहूं की फसल बरबाद होने से किसानों को सबसे ज्यादा हानि हुई. नुकसान से निबटने का फिलहाल कोई रास्त किसानों को नहीं सूझ रहा. फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से सहायता की उम्मीद भी खत्म हो गयी है. परेशान किसान कहां सुनाएं अपना दुखड़ा, कौन बांटेगा उनका दर्द और कौन दिलायेगा उन्हें राहत. महाजन मानेंगे नहीं, भूख मानेगी नहीं. बेटे-बेटियों की शादी सिर पर है सो अलग. पीड़ित किसानों की व्यथा-कथा से ये तमाम सवाल खड़े हो गये हैं. यह चिंता उन्हें सताये जा रही है.
मुआवजे की भी आस नहीं
आंधी-बरसात से फसलों को हुई भारी क्षति की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने किसानों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फसल नुकसान का किसान वार आकलन करने और इस काम को तेजी से करने का निर्देश दे चुके हैं. इसके बावजूद जिले के किसानों को सरकार से सहायता की कोई उम्मीद नहीं है.
जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि 50 प्रतिशत या उससे अधिक फसल का नुकसान होने पर ही मुआवजे का प्रावधान है, जबकि जिले में फसल क्षति का सर्वेक्षण कराने पर इतना नुकसान नहीं पाया गया है. कृषि विभाग के अनुसार जिले में नुकसान की दर 20 प्रतिशत है. ऐसे में प्रभावित किसान राहत या मुआवजे से वंचित रह जायेंगे. दूसरी ओर किसानों का कहना है कि जिले में गेहूं की फसल को लगभग 60 प्रतिशत की क्षति हुई है. मसूर, मटर, मक्के आदि की फसल को लगभग इतना ही नुकसान हुआ है.
क्या कहते है अधिकारी
किसानों को क्षति तो हुई, लेकिन लगभग 20 प्रतिशत. इतने नुकसान पर मुआवजा या क्षतिपूर्ति का सरकारी प्रावधान नहीं है. इस स्थिति में जिले के किसानों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराने में कठिनाई है.
उमेश प्रसाद चौधरी, जिला कृषि पदाधिकारी

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