हाजीपुर के मूर्तिकार को वियतनाम ने सराहा

मेहनत एवं लगन की बदौलत राजू ने विदेश की जमीं पर अपनी कला से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.वियतनाम सरकार ने उसकी कला से प्रसन्न होकर युवा कलाकार को सम्मानित किया है. विदेश में पुरस्कृत हो कर युवा कलाकार का हौसला बुलंद हुआ है. कठिन परिस्थिति से गुजर कर इस मुकाम तक पहुंचने के बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2015 1:28 AM

मेहनत एवं लगन की बदौलत राजू ने विदेश की जमीं पर अपनी कला से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.वियतनाम सरकार ने उसकी कला से प्रसन्न होकर युवा कलाकार को सम्मानित किया है.

विदेश में पुरस्कृत हो कर युवा कलाकार का हौसला बुलंद हुआ है. कठिन परिस्थिति से गुजर कर इस मुकाम तक पहुंचने के बाद राजू ने वैशाली के कलाकारों के लिए बिहार में कला अध्यापक का अध्ययन कराने की मांग की है. अपने अब तक के जीवन में हुए संघर्ष से प्रेरणा लेकर दूसरे को प्रेरित किया है.

हाजीपुर : हाजीपुर के डाक बंगला रोड पर बचपन से मूर्तिकार राजू कुमार ने अपनी मेहनत के बदौलत विदेशी सरजमीं पर धमाल मचा दिया. अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.महात्मा बुद्ध की दर्जनों प्रतिमा बना कर वियतनाम सरकार को दिया था. उसकी प्रतिभा को देख कर वियतनाम सरकार काफी खुश हुई और उसे काफी सराहा. तरह- तरह के अवार्ड भी दिये. राजू महात्मा बुद्ध,भगवान श्री कृष्ण, देवी सरस्वती एवं मां लक्ष्मी सहित अन्य की प्रतिमाएं बनाता है. मूर्तिकार रहते हुए उसने अपनी भी पढ़ाई निरंतर जारी रखी.

घर की माली हालत दयनीय होने के कारण कदम -कदम पर कठिनाई व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा. फिर भी अपनी मंजिल पाने के लिए लगातार प्रयासरत रहा. अब हाजीपुर वैशाली का नाम रोशन कर लौटा तो चारों ओर उसकी तारीफ हो रही है. घर की माली हालत भी ठीक हो गयी है .

पिता की मौत से नहीं डगमगाये कदम : हाजीपुर के फुटबॉल खिलाड़ी देवचंद्र राय की मौत के बाद भले ही उसके परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा था. लेकिन, साहसी राजू के पांव नहीं डगमगाये. वह उस समय महज आठ साल का ही था. वह मूर्ति बनाने के लिए प्रयत्न कर रहा था.

धीरे -धीरे वह अपनी लगन व मेहनत के कारण मूर्ति बनाने में मास्टर बनता गया. उसके बाद शहर में सरस्वती पूजा, दूर्गा पूजा,लक्ष्मी पूजा एवं अन्य मौकों पर अपनी बनायी मूर्तियां बेचने लगा. यह सिलसिला लगातार चलता रहा. उसी से आमदनी कर वह अपने पूरे परिवार को पालने लगा. घर में मां एवं छोटा भाई था. सभी का फिक्र रखना भी राजू नहीं भूलता.

फाइन आर्ट का कर रहा है कोर्स : अपने लक्ष्य के रास्ते में आये तमाम बाधाओं को ङोलते हुए राजू अब दिल्ली में इग्नू से फाइन आर्ट का कोर्स कर रहा है. इसके अलावा वह साल भर का कोर्स प्रौद्योगिक कला में डिप्लोमा भी कर चुका है.

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह हाजीपुर में ही प्रौद्योगिक कला की पढ़ायी शुरू कराने तक का फैसला कर चुका है. इस सिलसिले में वह वैशाली के डीएम से भी मिल कर अपनी योजना पर चर्चा की है. साथ ही उन्हें ज्ञापन देकर वैशाली में कला अध्यापक की पढ़ायी शुरू कराने की मांग भी की.

खुद सीखा मूर्ति बनाना : पिछले क ई वर्षो से राजू मूर्ति बनाता था. वह खुद ही बनाते-बनाते मास्टर बन गया.हर वर्ष उसकी उपलब्धि की खबर ‘प्रभात खबर’ में प्रमुखता से छपी है.शहर में वह अपनी पहचान मूर्तिकार के रूप में स्थापित कर चुका है.आगे भी वह इसी क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने की सोच रखी है.

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