जानकारी न हो तो अक्षय तृतीया को करें कार्य
हाजीपुर : अक्षय तृतीया को लेकर नागरिकों और व्यवसायियों में उत्साह बना हुआ है. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सजाया व संवारा जा रहा है. विशेष कर सोने-चांदी के आभूषण प्रतिष्ठानों ने ग्राहकों के लिए विशेष तैयारी कर रखी है. आकर्षक उपहारों के साथ सोने-चांदी के आभूषण के अलावा अस्त्र-शस्त्र व वस्त्र की बिक्री के लिए ज्यादा […]
हाजीपुर : अक्षय तृतीया को लेकर नागरिकों और व्यवसायियों में उत्साह बना हुआ है. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सजाया व संवारा जा रहा है. विशेष कर सोने-चांदी के आभूषण प्रतिष्ठानों ने ग्राहकों के लिए विशेष तैयारी कर रखी है.
आकर्षक उपहारों के साथ सोने-चांदी के आभूषण के अलावा अस्त्र-शस्त्र व वस्त्र की बिक्री के लिए ज्यादा उत्साहित दिखते हैं. व्यवसायियों ने ग्राहकों को आकर्षित करने की कई योजनाएं बना रखी है. सभी का दावा है कि उनके यहां का सामान असली और गारंटी युक्त है. दूसरी ओर डाकघर और बैंक भी इस मौके पर सोने व चांदी के सिक्कों को बेचने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं.
वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाये जाना वाला यह पर्व वसंत और ग्रीष्म ऋतु के संधि काल का महोत्सव माना जाता है. इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. सतयुग और कल्पभेद से त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. इसी दिन ऋषि नर-नारायण, भगवान परशुराम और भगवान हयग्रीव का अवतार हुआ था. महाभारत की लड़ाई समाप्त होने की घोषणा इसी दिन हुई थी.
भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि को किये गये सभी कर्मो का फल अक्षय होता है. मत्स्य पुराण के अनुसार इस तिथि का उपवास एवं जानकारों के अनुसार इस दिन दिये गये दान व किये गये स्नान जप-तप आदि कार्य से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. सुख-समृद्धि की कामना के अलावा अस्त्र-शस्त्र, आभूषण खरीदे और बनवाये जाते हैं.
नयी भूमि , भवन या कोई भी नया सामान इस दिन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. अगर कोई भी तिथि न मिले या अपनी कुंडली या ग्रह गोचर की जानकारी न हो तो इस तिथि को विवाह करने का सबसे उचित समय होता है, जिसके कारण सामूहिक विवाह इस दिन सबसे ज्यादा होते हैं.
* अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी महाभारत की लड़ाई
* नर-नारायण, भगवान परशुराम व भगवान हयग्रीव का अवतार हुआ था
* बैंक व डाकघरों में भी होगी सोने के सिक्कों की बिक्री