स्वच्छता अभियान की निकली हवा

फोटो सेशन कार्यक्रम साबित हुआ अभियान गत वर्ष गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ किया गया बहुप्रचारित स्वच्छ भारत अभियान एक वर्ष के अंदर ही टांय-टांय फिस्स साबित हुआ है. इस वर्ष गांधी जयंती के अवसर और उस कार्यक्रम की पहली वार्षिकी पर सरकारी कार्यालयों की दशा बताती है कि वह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2015 12:32 AM

फोटो सेशन कार्यक्रम साबित हुआ अभियान

गत वर्ष गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ किया गया बहुप्रचारित स्वच्छ भारत अभियान एक वर्ष के अंदर ही टांय-टांय फिस्स साबित हुआ है.
इस वर्ष गांधी जयंती के अवसर और उस कार्यक्रम की पहली वार्षिकी पर सरकारी कार्यालयों की दशा बताती है कि वह कार्यक्रम केवल दिखावा साबित हुआ और उसका कोई असर नहीं है.
हाजीपुर : दो अक्तूबर, 2014 को प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत अभियान शुरू किये जाने के बाद न केवल केंद्रीय मंत्रियों ने बल्कि मंत्री से लेकर संतरी तक ने झाड़ू पकड़ फोटो खिंचाई और प्रधानमंत्री के अभियान को आगे बढ़ाने का भरोसा दिलाया.
अभियान शुरू होने के एक वर्ष बाद ही सबों ने इस अभियान को भुला दिया है.
विभिन्न सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों एवं सार्वजनिक स्थानों की स्थिति बताती है कि किसी ने प्रधानमंत्री से प्रेरणा नहीं ली.
केस-1- सदर अस्पताल : पूरे जिले की स्वास्थ्य रक्षा की जवाबदेही निभाने वाले सदर अस्पताल ने स्वच्छता अभियान को कितनी गंभीरता से लिया है, यह देखने के लिए परिसर स्थित जन्म-मृत्यु निबंधन कार्यालय के पीछे जमा कचरा ही काफी है.
इस कार्यालय में प्रतिदिन दर्जनों नवजात शिशु अपनी मां के साथ यहां अपना जन्म प्रमाण-पत्र लेने आते हैं और इस कचरे से उनमें संक्रमण का खतरा बना रहता है.
केस-2-समाहरणालय परिसर : समाहरणालय परिसर संयुक्त भवन में नव निर्मित जिला पदाधिकारी के कार्यालय प्रकोष्ठ से दस कदम की दूरी पर स्थित आरटीपीएस काउंटर के निकट जमा कचरे का ढेर कई बीमारियों को आमंत्रित करता प्रतीत होता है,
लेकिन जिला प्रशासन इससे अनभिज्ञ बना है. जबकि इस कचरे को हटाने और वहां बने बेकार पानी की टंकी को हटाने का
आश्वासन तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने गत गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह के अवसर पर दिया था. इस काउंटर पर प्रत्येक दिन दर्जनों लोग अपना आवेदन जमा करने और प्रमाण पत्र लेने आते हैं और काफी देर तक रुकना पड़ता है.
केस-3 जिला न्यायिक अभिलेखागार : सरकारी कर्मचारियों पर काम न करने का आरोप आम है, लेकिन कर्मचारियों को काम करने लायक वातावरण भी मिले, इसकी चर्चा कोई नहीं करता. समाहरणालय परिसर स्थित जिला न्यायिक अभिलेखागार के प्रतिलिपि प्रशाखा में ऐसे ही फर्श पर रखे हैं अभिलेख. जिला प्रशासन की उन अभिलेखों की सुरक्षा, स्वच्छता अभियान और कर्मचारियों के काम करने के माहौल के प्रति चिंता को सामूहिक रूप से प्रतिबिंबित करता है.
केस-4- नगर पर्षद : नगर पर्षद के युसुफपुर मुहल्ला स्थित भवानी चौक पर मुख्य सड़क पर सालों भर लगा पानी स्वच्छता अभियान के प्रति नगर पर्षद के रवैया को बताने के लिए काफी है, जहां प्रत्येक दिन महिला एवं पुरुष को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
केस-5- पोखरा मुहल्ला : नगर के भीड़ भरे इलाके पोखरा मुहल्ले के गुदरी के पीछे लगा कचरे का ढेर नगर पर्षद और नागरिकों का स्वच्छता अभियान के प्रति दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है. प्रत्येक दिन यहां से गुजरने वाले सैकड़ों लोग अपनी नाक पर रूमाल रख निकल जाते हैं.
ये तो कुछ नमूने मात्र हैं. आपको हर जगह ऐसे दृश्य मिल जायेंगे, जिससे पता चलता है कि गत वर्ष गांधी जयंती पर प्रारंभ हुआ स्वच्छता अभियान इस जिले में टांय-टांय फिस्स हो गया है.

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