हाजीपुर : कहते हैं कि हर झंझावत से लड़ते हुए मांझी कश्ती को पार लगाता है, लेकिन वैशाली जिले के महुआ विधान सभा क्षेत्र में मांझी की नैया ही किसी ने डूबो दी. मांझी की कश्ती को डुबोनेवाला और कोई नहीं बल्कि उनका अपना मित्र था. अपने पुराने घर में आग लगा कर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जिन लोगों का साथ दिया,
उन्होंने ही उनके साथ विश्वासघात कर और उनकी नाव डूबो दी. मांझी ने महुआ विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक को अपना उम्मीदवार बनाया था और भाजपा ने उन्हें समर्थन की घोषणा की थी, लेकिन महुआ में हुआ ठीक इसके विपरीत. भाजपा ने उपरी तौर पर भले ही मांझी के उम्मीदवार को मदद करने जैसा दिखाने का प्रयत्न किया, लेकिन अंदर-ही-अंदर आरएसएस का पूरा कुनबा निर्दलीय प्रत्याशी और अपने नेता विनोद यादव के समर्थन में डटा रहा.
इसका नतीजा भी सामने है और इस चुनाव में श्री यादव ने लगभग 15 हजार मत प्राप्त कर तीसरा स्थान प्राप्त करने में सफल रहे. यदि सूत्रों पर विश्वास करें, तो आरएसएस ने चुनाव के केवल चार दिन पूर्व अपने कार्यकर्ताओं को इस आशय का निर्देश दिया कि श्री यादव के पक्ष में मतदान करें और लगभग इसी समय से अन्य सहायता प्रारंभ की.
यदि चुनाव के प्रारंभ से आरएसएस पूरी तरह श्री यादव के समर्थन में जुटी होता, तो यह संभव है कि चुनाव का नतीजा दूसरा होता. श्री यादव को प्राप्त मतों के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि मांझी की नाव डुबोने में आरएसएस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.